भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार कर्ज के दलदल में धंसती जा रही है। इन्वेस्टर्स समिट से पहले एक बार फिर मोहन यादव सरकार पांच हजार करोड़ रुपए कर्ज बाजार से ले रही है। यह कर्ज तीन अलग-अलग हिस्सों में 20 फरवरी को लिया जाएगा, जिसकी भरपाई 12, 15 और 23 वर्षों की अवधि में की जाएगी. इससे पहले, 1 जनवरी 2025 को सरकार ने 5,000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था।
नए कर्ज के बाद,चालू वित्त वर्ष में सरकार द्वारा लिया गया कुल कर्ज 41,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। पिछले साल 4 महीने में चार बार लगातार सरकार ने 20 हजार करोड़ का कर्ज़ लिया था। मध्य प्रदेश सरकार पर अब तक 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज़ हो चुका है। मोहन सरकार की कर्जखोरी पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने निशाना साधा है।
पीसीसी चीफ ने कहा, ‘मध्य प्रदेश दिन पर दिन कर्ज के दलदल में डूबता जा रहा है। प्रदेश के ऊपर अब तक 4.10 लाख करोड रुपए का कर्ज हो चुका है। और अब खबर आ रही है कि प्रदेश सरकार 18 फरवरी को 5000 करोड रुपए का और कर्ज लेने वाली है। भाजपा सरकार की कर्ज लेने की इस नीति से प्रदेश बड़े राजकोषीय संकट की ओर बढ़ रहा है।यह बहुत दुख की बात है कि कई मामलों में सरकार ने सार्वजनिक संपत्ति बेचकर या लीज पर देकर धन अर्जित करने का प्रयास किया है। सरकार अपने खर्च पूरे करने के लिए पूरी तरह कर्ज पर निर्भर होती जा रही है।’
कमलनाथ ने आगे कहा, ‘इसकी मुख्य वजह यह है कि सरकार अपने मौजूदा संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल नहीं कर रही है। अगर प्रदेश की आर्थिक गतिविधि सही दिशा में संचालित की जाए तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी जिससे अंततः प्रदेश सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। अगर बेरोजगारों को रोजगार मिले और उद्योग तथा व्यापार को सकारात्मक माहौल में काम करने दिया जाए तो निश्चित तौर पर आर्थिक गतिविधि बढ़ेगी। लेकिन प्रदेश की खराब कानून व्यवस्था के कारण यह काम संभव नहीं हो पा रहा है। और सबसे दुख की बात यह है कि लगातार कर्ज लेने के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार इवेंटबाजी पर अपनी फिजूल खर्ची में कोई कमी नहीं कर रही है। प्रदेश की जनता इस आर्थिक कुप्रबंधन के लिए इन्हें कभी माफ नहीं करेगी।’