अरुण कुमार शेंडे
रायसेन ऐतिहासिक नगर सांंची वैसे तो इस स्थल से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरक्षा की दृष्टि से लगाई गई लोहे की रैलिंग वाहनों की चपेट में आकर ध्वस्त हो चुकी है तो कुछ स्वार्थी लोगों द्वारा रैलिंग निकाली जाकर गायब कर दी गई है तो राष्ट्रीय राजमार्ग पर नगर को रोशन करने लगाये गए बिजली पोल भी आडे हो चले इस से कभी भी कोई घटना घटित होने का अंदेशा बढ गया है इस ऐतिहासिक स्थल से राष्ट्रीय राजमार्ग को निकाला गया है लगभग पांच वर्ष पूर्व यह मार्ग करोडों रुपये खर्च कर निर्मित किया गया था इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर छोटे एवं पैदल चलने वाले लोगों के लिए रोड के दोनों ओर सर्विस रोड बनाए गए थे इन सर्विस रोडो को अतिक्रमण के चलते विभाग पूर्ण नहीं करा सका था जो आज भी अधूरे दिखाई दे जाते है इन सर्विस रोडो को भी अतिक्रमण ने अपनी चपेट में ले रखा है जिससे इन सर्विस रोडो पर चलना मुश्किल हो गया है इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर लोगो को सुरक्षा उपलब्ध कराने एव दुर्घटना रोकने के लिए मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग एवं सर्विस रोडो के बीच लोहे की मजबूत रैलिंग लगाई गई थी तथा इस रोड को रोशन करने निर्माण विभाग द्वारा स्ट्रीट लाइट के पोल खडे किये गए थे जिससे इस नगर को रोशन किया जा सके परन्तु जैसे जैसे समय गुजरा समय के साथ निर्माण विभाग भी इस ऐतिहासिक स्थल पर निर्मित रोड को भूल गया अनेक स्थानों पर लोहे की रैलिंग वाहनों की चपेट में आकर तहसनहस हो गई तो शेष रही रैलिंग स्वार्थी लोगों के स्वार्थ की भेंट चढ़ गई तथा रोडो से अपने आप ही गायब हो गई इससे सरकारी लाखों करोड़ों राशि को पलीता लग गया परन्तु राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग ने न तो इस रैलिंग को ढूंढने न ही रैलिंग गायब होने पर कोई नियमानुसार कार्रवाई करने की हिम्मत ही जुटाई जिससे सरकारी राशि को पलीता लग गया इस मामले में कहीं न कहीं विभाग के कर्ता धर्ताओ पर सवाल खड़े हो रहे है इसके साथ ही रोड पर रोशन करने लगाये गए बिजली पोल भी विभाग की लापरवाही के चलते रोशन होना बंद हो चुके हैं अनेक बार इन्हें रोशन करने इसमे डाली गई घटिया केलव की अदला बदली होने के बाद भी अंधेरे से छुटकारा नहीं दिला सकी इसके साथ ही बिजली पोल लंबे समय से आडे तिरछे हो चुके हैं यहाँ तक कि मुख्य स्तूप चौराहा जहाँ से नागरिक तो गुजरते ही है बल्कि देशी विदेशी पर्यटकों का भी आनाजाना लगा रहता है कब किस पर गिर जाये कहा नहीं जा सकता है ऐसा भी नहीं है कि इस स्थल पर इन सब से प्रशासनिक अधिकारी बेखबर हो परन्तु अधिकारी भी इन अव्यवस्था की सुध नहीं ले सके वैसे तो स्थानीय प्रशासन अपने स्तर पर इस नगर की व्यवस्था को देखने का जिम्मा उठाये हुए हैं परन्तु वह अपनी ही समस्या को हल नही कर पाता तब अन्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराई सुविधाओं की कैसे सुध लेने की जहमत उठा पायेगा तब आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस विख्यात स्थल पर बडी बडी विकास की पोलों के उपलब्ध कराई गई सुविधाओं को आसानी से तहसनहस होते देखा जा सकता है हालांकि इस माह के अंतिम दिनों में बौद्ध वार्षिकोत्सव की तैयारी शुरू तो की जा चुकी हैं परन्तु बेहाल हुई इस अव्यवस्था की ओर किसी को सुध लेने की फुरसत नहीं मिल पा रही हैं