राकेश अचल
देश में गंगा उलटी बह रही है। पूरब से पश्चिम तक ,उत्तर से दक्षिण तक जहाँ -जहाँ गंगा है उलटी ही बह रही है। उलटी बहने वाली गंगा शिव की जटाओं से निकली गंगा नहीं है । उलटी बहने वाली गंगाओं के भगीरथ अलग-अलग हैं। यूपी में अलग तो पंजाब में अलग । दिल्ली में अलग तो असम में अलग। आप कहेंगे कि देश में तो एक ही गंगा है ,जो हमेशा सीधी बहती है और पतित पावन है। लेकिन मै जिन गंगाओं की बात कर रहा हूँ वे पतित -पावन नहीं है। वे दलदली गंगाएं हैं।
सबसे पहले यूपी में योगी आदित्यनाथ की गंगा की बात करते है। योगी जी के सूबे में सम्भल का दंगा हो गया। दंगा शांत भी हो गया ,लेकिन सम्भल को विपक्षी नेताओं के लिए ‘ कील ‘ दिया गया है। कोई भी विपक्षी नेता सम्भल नहीं जा सकता और सत्ता पक्ष के नेता सम्भल जाते नहीं हैं ,क्योंकि दंगा करने का आरोप तो उन्हीं के ऊपर है। यानि यहां योगी जी सत्ता के बूते लोकतंत्र की गंगा का प्रवाह बदलने पर आमादा हैं। क़ानून और व्यवस्था के नाम पर राहुल गांधी हों या अखिलेश यादव ,कोई भी सम्भल नहीं जा सकता। सबको सम्भल के बाहर खींची ‘ योगी रेखा ‘ के बाहर रोक दिया गया है। सवाल ये है कि योगी जी की सरकार विपक्ष के सँभल जाने से इतनी खौफजदा क्यों है ?
यूपी से आगे बढिये पंजाब चलते हैं। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। यहां स्वर्ण मंदिर के बाहर अकाली दल के तनखैया घोषित सुप्रीमो सुखबीर सिंह के ऊपर एक दूसरा सरदार रिवाल्वर से फायर करता है । सुखबीर को उसके अंगरक्षक बचालेते हैं ,लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री मान साहब के मान पर कोई असर नहीं पड़ता। आप समझ सकते हैं कि पंजाब में मान सरकार का इकबाल कितना बुलंद है ? पंजाब में कोई भी आतंकी ,कभी भी किसीको अपना निशाना बना सकता है। यानि उलटी गंगा यहां भी बह रही है। पंजाब में बहती उलटी गंगा में यहां का अमन-चैन सब बहा जा रहा है।
पंजाब के बाद चलिए महाराष्ट्र। महाराष्ट्र में जो कुछ होता है वो पूरे राष्ट्र को भौंचक कर देता है । यहां कब दीवान को दरोगा और दरोगा को दीवान बना दिया जाये ,ये कोई नहीं जानता। विधानसभा चुनावों के बाद महाराष्ट्र में कल तक जो दरोगा थे वे दीवान बना दिए गए और जो दीवान थे उन्हें दरोगा बना दिया गया। ‘ डिमोशन ‘ और ‘ प्रमोशन ‘ की उलटी गंगा देश में जिस तरह महाराष्ट्र में बहती है और कहीं नहीं बहती। महाराष्ट्र ने ये सब हमारे मध्यप्रदेश से सीखा है। मध्यप्रदेश में वर्षों पहले इस तरह का प्रहसन हो चुका है। हमारे यहां भी दरोगा रहे स्वर्गीय बाबूलाल गौर साहब, शिवराज सिंह चौहान के दरोगा बनने के बाद उनके दीवान बनने को राजी हो गए थे। यानि सियासत में किसी का कोई मान-अपमान या जमीर -समीर नहीं होता। मूषक को शेर बना दीजिये या शेर को मूषक ,किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता।
उलटी गंगा असम में भी बह रही है। असम में सरकार ने कहा है कि अब असम के होटल,रेस्टोरेंट्स और सार्वजनिक स्थानों पर गौमांस नहीं बिक सकता। यानि आपको गौमांस खाना है तो किसीके घर में जाकर खाइये । असम सरकार ने गौमांस के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगाईं है ,केवल कुछ खास जगह प्रतिबंधित की है । यानी आप ‘ गुड़ खा सकते हैं लेकिन आपको गुलगुलों से नेम करना होगा। असम के मुख्यमंत्री लगता है यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रेरणा हासिल कर रहे हैं। यूपी में भी इस तरह केअसफल प्रयोग किये जा चुके हैं। यानि गंगा को असम में भी उलटा बहाने कीकोशिश की जा रही है ।
असम सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस,एआईयूडीएफ और जदयू ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। जदयू ने कहा, इस फैसले से समाज में तनाव बढ़ेगा। केंद्र और बिहार में बीजेपी की सहयोगी पार्टी जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा, भारत का संविधान सबको खाने-पीने की आजादी देता है. होटल या सार्वजनिक स्थान पर बीफ बैन का हम समर्थन नहीं करते। इससे समाज में तनाव फैलेगा जो पहले से ही काफी ज्यादा है. कांग्रेस नेता राशिद आल्वी ने कहा, गोहत्या पर पूरे देश में पाबंदी लगनी चाहिए। लेकिन असम के सीएम को ये अब क्यों याद आया है? क्या बीजेपी गोवा, पूर्वोत्तर समेत उन सभी राज्यों में गो हत्या पर पाबंदी लगाएगी, जहां उनकी सरकार है।
जब गंगा उलटी बहती है तो आचार्य प्रमोद कृष्णन जैसे पूर्व कांग्रेसी भी आय-बांय बोलने लगते है। राहुल गाँधी से दुखी होकर मोदी जी की शरण में आये आचार्य प्रमोद कृष्णन कहते हैं की राहुल गांधीको यदि सम्भल के हिन्दुओं की इतनी ज्यादा चिंता है तो वे बांग्लादेश क्यों नहीं जाते ? आचार्य जी ये मश्विरा राहुल गांधी को तो दे सकते हैं लेकिन योगी,मोदी और शाह को नहीं दे सकते। हिम्मत नहीं है बेचारे के पास। सचबोलने के लिए हिम्मत की जरूरत पड़ती है ,जो आजकल भाजपा में शायद किसी नेता के पास बची नहीं है।
मणिपुर में तो गंगाजू डेढ़ साल से उलटी बह रहीं हैं। केंद्र की सरकार ने कभी गंगा के प्रवाह के उलटे होने की फ़िक्र नहीं की । यदि की होती तो मणिपुर के मुख्यमंत्री अभी तक हटा न दिए जाते ! मणिपुर में प्रधानमंत्री जी हों या कोई और दुसरे भाजपा नेता न खुद वहां जाते हैं और न राहुल गाँधी को वहां जाने से रोकते है। राहुल गांधी राख हो रहे मणिपुर में दो मर्तबा हो आये लेकिन मोदी जी को एक बार भी मणिपुर जाने का ख्याल नहीं आया। आये भी कहाँ से ,उन्हें मणिपुर से ज्यादा यूक्रेन और रूस की फ़िक्र खाये जा रही है। वे बांग्लादेश भी तो नहीं जा रहे जबकि वहां का अल्पसंख्यक हिन्दू संकट में है। मोदी जी ब्राजील ,रूस , निकारागुआ और डोमेनिका जा सकते हैं ,किन्तु मणिपुर हो या ढाका नहीं जा सकते।
बहरहाल हमें भगीरथ की गंगा के साथ ही हर सूबे की गंगा के प्रवाह की फ़िक्र है। इसीलिए हम लगातार गंगा के उलटे बहने पर सभी को आगाह करते है। नेताओं कोभी और जनता को भी। यदि गंगाओं को उलटा बहने से न रोका गया तो हमारे पास जो कुछ गहना-गुरिया बचा है वो सब बह जाएगा। लोकतंत्र में गंगा सीधी ही बहना चाहिए । गंगा का यमुना और सरस्वती के साथ संगम भी होना चाहिए। अन्यथा सब कुछ तबाह हो सकता है। गंगा को उलटा बहने से सिर्फ इस देश की जनता ही रोक सकती है ,शर्त ये है कि वो खुद को जनार्दन माने और लोकतंत्र का मान-मर्दन करने वालों को सजा दे।