ग्वालियर में रविवार को जीवाजी विश्वविद्यालय के 60वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने जीवाजी राव सिंधिया की मूर्ति का अनावरण किया।
कार्यक्रम में उनके साथ राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मंत्री तुलसी सिलावट सहित कई विश्वविद्यालय के अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।
उप राष्ट्रपति धनखड़ करीब 3 घंटे से ज्यादा समय तक ग्वालियर में रहे। वे जयविलास पैलेस भी पहुंचे। उनके आगमन पर एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल तक 1800 जवान व अफसर सुरक्षा में तैनात किए गए थे।
ज्योतिरादित्य में भविष्य का विजन
कार्यक्रम के दौरान उप राष्ट्रपति ने कहा आज का दिन मेरे लिए सदैव अविस्मरणीय रहेगा। मैंने सिंधिया परिवार की तीन पीढ़ियों की राजनीति को देखा है। मुझे 1989 में राजमाता का आशीर्वाद मिला, जो आज मुझे इस मुकाम पर ले आया है।
सादा नेपाली और मराठी भोजन का आनंद
महल दौरे से पहले उपराष्ट्रपति और उनकी धर्मपत्नी ने सिंधिया परिवार के साथ दोपहर का भोजन किया। इस सादगीपूर्ण भोज में नेपाली और मराठी व्यंजनों का विशेष स्वाद परोसा गया। व्यंजनों में नेपाली आलू, बड़ौदा पुलाव, सोल कड़ी, कुरकुरी भिंडी, लौकी कोफ्ता कड़ी और श्रीखंड शामिल थे। भोजन के दौरान गर्मजोशी से स्वागत करते हुए केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने अपने महल के इतिहास और संस्कृति पर चर्चा की।
महल के इतिहास और कला का अवलोकन
भोजन के बाद अतिथियों ने दरबार हॉल और महल के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया। सिंधिया परिवार द्वारा 1874 में निर्मित यह महल भारतीय और यूरोपीय वास्तुकला का अद्भुत संगम है। केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने महल के निर्माण, ऐतिहासिक महत्व और कला संग्रह के बारे में उपराष्ट्रपति को विस्तार से बताया।
विजिटर बुक में उपराष्ट्रपति का संदेश
महल की सांस्कृतिक धरोहर से प्रभावित होकर उपराष्ट्रपति ने विजिटर बुक में अंग्रेजी में एक भावपूर्ण संदेश लिखा। उन्होंने लिखा कि हमारी सभ्यता के खजाने का प्रबुद्ध प्रदर्शन देखा। प्रत्येक कलाकृति हमारी संस्कृति के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह विरासत सोने की खान है, जो ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को प्रेरित करती है और दिशात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसका हम अनुकरण करने की उम्मीद करते हैं। मैं महल से अधिक जानकारी के साथ जा रहा हूं और जानकारी प्राप्त करने का आग्रह करता हूं।
माधवराव जी संसद के माधव (कृष्ण) थे। माधवराव ने सभी मंत्रालय में अपने काम से अमिट छाप छोड़ी है। रेल मंत्रालय में जो काम किया वो सब जानते हैं। उनके काम और आकर्षण को शब्दों में बयां नही किया जा सकता। मुसीबत-दुख के समय माधवराव सबसे पहले फोन करते थे। आज संसद में माधव की ज्योति ( ज्योतिरादित्य) को अनुभव कर रहा हूं। दुनिया आज सिंधिया परिवार की सेवा और परंपरा का लोहा मानती है।
जीवाजी राव ने आजादी के बाद जनता की सेवा, शिक्षा के लिए अविस्मरणीय काम किया। उनकी मूर्ति के अनावरण पर आज का दिन मेरे लिए भावुक दिन है। महाराज जीवाजी राव जानते थे कि शिक्षा समानता लाती है, शिक्षा जागरूकता लाती है, शिक्षा से ही लोकतंत्र और संविधान है। महाराज में जनता की सेवा के लिए हमेशा ऊर्जा रहती थी। आज ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उनके नक्शे कदम पर चल रहे है। सिंधिया के पास भविष्य के लिए विजन है, आज भविष्य के लिए ठोस विजन की जरूरत भी है।