हरियाणा चुनाव के नतीजों में अब बीजेपी कमबैक करती दिख रही है। रुझानों में भगवा पार्टी बहुमत के आंकड़ा टच कर गई है, जो कांग्रेस बहुत तेजी से आगे बढ़ी थी, वो अब काफी पीछे धकेल दी गई
सिरसा से गोपाल कांडा पीछे
सिरसा से गोपाल कांडा पीछे चल रहे हैं. यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवारों पर कांडा भारी पड़ते नजर आ रहे हैं. इससे पहले शुरुआत में कांग्रेस उम्मीदवार गोपाल सेतिया आगे चल रहे थे.
हरियाणा में रुझान पलटे, बीजेपी 45 सीटों पर आगे
हरियाणा में वोटों की गिनती के बीच रुझान पलट गए हैं. बीजेपी अब 45 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं, कांग्रेस जो आगे चल रही थी, अब सिर्फ 40 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. INLD भी 2 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं, 3 निर्दलीय उम्मीदवार भी बढ़त बनाए हुए हैं.
अंबाला केंट से अनिल विज आगे
अंबाला केंट सीट से बीजेपी के अनिल विज आगे चल रहे हैं. लाडवा से नायब सिंह सैनी और जुलाना से विनेश फोगाट आगे चल रही हैं. शुरुआती रुझानों में कांग्रेस बढ़त बनाए हुए है. कांग्रेस 36 सीटों, बीजेपी 20 सीटों और आईएनएलडी 2 सीटों पर आगे चल रही है.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा चल रहे आगे
रोहतक विधानसभा सीट से कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा आगे चल रहे हैं. भूपेंद्र सिंह हुड्डा पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और इस बार भी उन्होंने अपनी उम्मीदवारी ठोक दी है. इसके अलावा नूंह से भी कांग्रेस उम्मीदवार आगे चल रहे हैं.
जुलाना से विनेश फोगाट 2 हजार वोटों से पीछे
जुलाना में कांग्रेस उम्मीदवार विनेश फोगाट दो हजार वोटों से पीछे चल रही हैं। यहां से बीजेपी के योगेश बैरागी आगे चल रहे हैं। विनेश फोगाट इस चुनाव में कांग्रेस की स्टार कैंडिडेट थीं। माना जा रहा था कि विनेश जुलाना के साथ कांग्रेस के लिए आसपास की तीन-चार सीटों को रिजल्ट को प्रभावित करेंगी। फिलहाल विनेश फोगाट का पीछे चलना एक बड़ी बात है।
हरियाणा में क्या है स्थिति
पार्टी रुझान में आगे जीत
कांग्रेस 54
BJP 31
इनेलो-बसपा
2
JJP-ASP
AAP
अन्य 3
13 एजेंसियों के एग्जिट पोल में हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है। कांग्रेस को 50 से 55 सीटें मिल सकती हैं। लेकिन हरियाणा में जो ट्रेंड है, वो भाजपा के पक्ष में जा रहा है।
दरअसल, 2000 से 2019 तक हरियाणा में हुए 5 विधानसभा चुनाव में दो बार ऐसा हुआ, जब वोटिंग प्रतिशत गिरा या फिर उसमें 1% तक की मामूली बढ़ोतरी हुई। दोनों ही बार राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनी। उसका फायदा उस समय सत्ता में रही पार्टी को मिला।