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22 Dec 2024, Sun

गोपाल भार्गव का तीखा सवाल-बोले क्या हम रावण दहन के अधिकारी हैं?आगे लिखा- एक तरफ कन्या पूजन, दूसरी ओर अबोध बेटियों से रेप हो रहे

MP News: मध्य प्रदेश सहित सागर (Sagar) जिले में बच्चियों के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटनाएं लगातार सामने आ रही है. इसके बाद एमपी के वरिष्ठ बीजेपी नेता गोपाल भार्गव (Gopal Bhargava) ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया. उन्होंने लिखा कि नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है. गांव से लेकर शहर तक जगह-जगह देवी जी सहित कन्याओं का पूजन हो रहा है. मैंने यह भी गौर किया है कि दुनिया के किसी भी देश में मुझे ऐसे समाचार पढ़ने या देखने नहीं मिले. विजयदशमी (Vijayadashmi 2024) के पहले हमें विचार करना चाहिए कि हम रावण का पुतला जलाने के अधिकारी है या नहीं.’ बता दें कि कुछ दिनों पहले भोपाल से छोटी बच्चियों के साथ उत्पीड़न के कई मामले सामने आए थे.

गोपाल भार्गव ने उठाए सवाल

पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने लिखा, ‘नवरात्रि के महापर्व में हमें अब यह विचार करना होगा कि क्या हम लंकाधिपति रावण का पुतला जलाने की पात्रता रखते हैं? और क्या हम इसके अधिकारी हैं? विजयादशमी को हम बुराई पर अच्छाई की विजय का त्यौहार मानते हैं. रावण ने सीता माता का हरण किया लेकिन सीता जी की असहाय स्थिति में भी उनका स्पर्श करने का प्रयास नहीं किया.’

रामायण को लेकर कही ये बात

 

गोपाल ने लिखा, ‘अपने मन के अंदर और अपनी इंद्रियों में बैठे उस रावण को मारना होगा. सभी प्रकार की रामायणों में उल्लेख है कि रावण से बड़ा महाज्ञानी, महा तपस्वी, महान साधक और शिवभक्त भू लोक में नहीं हुआ. जिसने अपने शीश काट काटकर भगवान के श्री चरणों में अर्पित किए. ऐसे में आजकल ऐसे लोगों के द्वारा जिन्हें न किसी विद्या का ज्ञान है, जिन्हें शिव स्तुति की एक लाइन और रुद्राष्टक, शिवतांडव स्तोत्र का एक श्लोक तक नहीं आता, जिनका चरित्र उनका मुहल्ला ही नहीं बल्कि पूरा गांव जानता है, उनके रावण दहन करने का क्या औचित्य है?’

मृत्युदंड और कड़ी सजा के कानून बनने के बाद घटनाएं और बढ़ी’ बीजेपी विधायक गोपाल भार्गव ने आगे लिखा- हम सबसे पहले इस बात का प्रण ले कि, हमें अपने मन के अंदर और अपनी इंद्रियों में बैठे उस रावण को मारना होगा। जो तीन और पांच साल तक की अबोध बच्चियों के साथ दुष्कृत्य करने को प्रेरित करता है। एक और बात गौर करने लायक है कि जब से ऐसे दुष्कृत्य करने वालों को मृत्युदंड और कड़ी सजाओं के कानून बने हैं। तब से ऐसी घटनाएं और अधिक देखने में आ रही हैं। नवरात्रि में हम सभी भारतीयों को यह आत्ममंथन का विषय है।

By archana

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