नेताओं के आपसी शह और मात के खेल में उलझी भाजपा की राजनीति : प्रदेश नेतृत्व ने पल्ला झाड़ा
Sagar / संभागीय मुख्यालय सागर में इन दोनों भाजपा की राजनीति नेताओं के आपसी शह और मात के खेल में उलझती जा रही है। इस लड़ाई में कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं को मुद्दा बनाया जा रहा है। लेकिन प्यार और जंग में सब जायज होने की तर्ज पर प्रदेश सरकार के ही पूर्व मंत्री और जिले के एक विधायक ने भाजपा से निष्कासित एक नेता के माध्यम से प्रायोजित रूप से दिवाली मिलन के नाम पर स्वागत समारोह में कांग्रेस नेताओं को भाजपा में शामिल करने के पार्टी के जिला और प्रदेश संगठन के निर्णयों को चुनौती दे डाली है।
भाजपा की स्थानीय राजनीति में जिले के विभिन्न जनप्रतिनिधि अपनी शक्ति के प्रदर्शन को लेकर आए दिन ताल ठोकते नजर आ रहे हैं। जिसका खामियाजा छोटे कार्यकर्ताओं और आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। शिवराज सिंह चौहान की सरकार में सबसे ताकतवर मंत्री रहे भूपेंद्र सिंह तथा संभाग के एकमात्र कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के खासमखास गोविंद राजपूत एक दूसरे को सीधी चुनौती दे रहे हैं। पिछले दिनों दिवाली मिलन समारोह आयोजन की आड़ में पूर्व मंत्री भूपेंद्र ठाकुर द्वारा दिए गए बयान ने जिले और प्रदेश की राजनीति में गर्मी ला दी है। जिसमें उन्होंने कहा है कि कांग्रेस से भाजपा में आए लोगों को पार्टी भले ही स्वीकार कर ले लेकिन वे जीवन भर ऐसे लोगों को स्वीकार नहीं कर सकते हैं। ऐसा उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि खुरई विधानसभा क्षेत्र में भूपेंद्र सिंह के धुर विरोधी और कांग्रेस के पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे को गोविंद राजपूत द्वारा भाजपा में शामिल करा दिया गया। जिसके बाद स्थानीय राजनीति और प्रशासन के कामों में उनके सीधे दखल से विधायक भूपेंद्र सिंह खासे नाराज़ हैं।
ऐसा नहीं है कि मंत्री गोविंद राजपूत ने ही कांग्रेस नेताओं को भाजपा में शामिल कराया हो, बल्कि यह काम तो भूपेंद्र सिंह भाजपा के लिए काफी पहले से करते आ रहे हैं। अपने मंत्री रहते हुए तथा गोविंद राजपूत के कांग्रेस में रहने के दौरान उन्होंने गोविंद राजपूत के गढ़ में कई बार सेंध लगाते हुए उनके समर्थक तथा विरोधी अनेकों कद्दावर नेताओं को भाजपा में शामिल कर उन्हें बड़े-बड़े पदों से भी नवाजा है। इनमें गोविंद राजपूत के सबसे खास रहे पं सुखदेव मिश्रा को अंत्योदय समिति का उपाध्यक्ष, राजेंद्र सिंह मोकलपुर को खनिज विकास निगम का उपाध्यक्ष व विधानसभा टिकिट और पारुल साहू व लक्ष्मी नारायण यादव को सुरखी से प्रत्याशी बनाकर उपकृत किया गया है।
इनके अलावा कांग्रेस के ही डॉ सुशील तिवारी की पत्नी को महापौर और पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष हीरासिंह राजपूत को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में वे आगे रहे हैं। बृज बिहारी पटेरिया व राहुल लोधी को कांग्रेस से भाजपा में लाकर देवरी व दमोह से विधायक तथा अभय दरे को महापौर बनाने में भी भूपेन्द्र सिंह की बड़ी भूमिका रही है। नेवी जैन, राहुल साहू और इंदु चौधरी जैसे युवा नेताओं को कांग्रेस से भाजपा में लाकर मंचों पर सम्मान दिलाने सहित कई कांग्रेसी नेताओं को भाजपा के कार्यकर्ताओं का हक छीनकर सत्ता का लाभ दिलाया है।
पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के उक्त बयानों के चलते भाजपा के पुराने नेताओं का कहना है कि उनके द्वारा हाल ही में कही गई उक्त बात को कहने से पहले यदि उन्होंने ऐसा उस समय ऐसा सोच लिया होता तो आज कई भाजपा नेताओं को अपनी मेहनत का लाभ मिल गया होता।
पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह द्वारा पार्टी हाई कमान को अपनी नाराजगी का संदेश देने के लिए इस बार संभागीय मुख्यालय सागर को चुना है। यहां उनकी ही पार्टी के चार बार के विधायक शैलेंद्र जैन के विरोधियों को इकट्ठा कर दीपावली मिलन समारोह के नाम पर शहर के अलग-अलग हिस्सों में आधा दर्जन से ज्यादा कार्यक्रम ठोक दिए हैं। इन कार्यक्रमों से जहां शहर की राजनीति में अपना दबदबा दिखाने की कोशिश की जा रही है वहीं भाजपा से निष्कासित अनाज व्यवसाय से जुड़े एक नेता के माध्यम से आयोजित किए गए दिवाली मिलन समारोह में कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं पर निशाना साधते हुए प्रदेश नेतृत्व द्वारा उन्हें पार्टी में शामिल करने के निर्णय को भी इशारों ही इशारों में चुनौती दे डाली है। हालांकि उनके बयान पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीडी शर्मा ने पल्ला झाड़ते हुए इस संबंध में दिए गए उनके बयान को निजी विचार ठहराया है।
इसके पहले भी पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने खुरई को जिला बनाने की मुहिम को हवा देकर गोविंद राजपूत तथा अरुणोदय चौबे के माध्यम से कांग्रेस से भाजपा में आई बीना विधायक निर्मला सप्रे के सामने भी चुनौती खड़ी कर बीना को जिला बनाए जाने के निर्णय को ठंडा बस्ते में डलवा दिया है। जिसके चलते ही निर्मला सप्रे कांग्रेस पार्टी से अपने इस्तीफा और भाजपा से दोबारा चुनाव लड़ने पर निर्णय नहीं ले पा रही हैं।
ऐसा नहीं है कि शह और मात का खेल मंत्री गोविंद सिंह और विधायक भूपेंद्र सिंह के बीच ही चल रहा हो। नरयावली विधायक प्रदीप लारिया भी अवैध शराब और जुआ के खिलाफ मुहिम की आड़ में अपने विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले भूपेंद्र सिंह और उनके परिवार के कारोबार को निशाना बनाकर प्रशासन और पुलिस को आए दिन घेरने और मीडिया में बयान देने का काम कर रहे हैं। देवरी विधायक बृज बिहारी पटेरिया भी पिछले दिनों पुलिस द्वारा एक मामला दर्ज नहीं करने की घटना पर सरकार और संगठन को अपने बगावती तेवर दिखा चुके है। दूसरी तरफ संभाग के एक और कद्दावर ब्राह्मण नेता तथा पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव तटस्थ रहकर अपने आप को भीष्म पितामह की भूमिका में रखने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा में स्थानीय स्तर पर सत्ता की ताकत की खींचतान का असर प्रशासन, जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं पर भी दिखाई देने लगा है। नेताओं की इस आपसी खींचतान के चलते प्रशासन और पुलिस में बैठे कतिपय चालाक किस्म के अधिकारी भी मजे लेकर भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं तक की सुनवाई नहीं कर रहे है। पूरा प्रशासन तंत्र विकास कार्यों को समय सीमा में पूरा करने और आम जनता की समस्याओं के निराकरण को लेकर जिस तरह से उदासीन नजर आ रहा है उसके चलते पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ही आम जनता में भी जनप्रतिनिधियों और सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ रहा है। बहरहाल सत्ता की यह लड़ाई कहां जाकर थमेगी यह तो नहीं कहा जा सकता। लेकिन इस लड़ाई में सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा के आम कार्यकर्ता और जनता का ही हो रहा है।