भोपाल गोल्ड-कैश कांड में पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा को जमानत : तीन माह में चालान पेश नहीं कर पाई लोकायुक्त पुलिस,कांग्रेस चीफ जीतू पटवारी ने उठाए सवाल..
लोकायुक्त के कोर्ट में तय समय में चालान पेश नहीं कर पाने से परिवहन विभाग घोटाले से जुड़े सौरभ शर्मा को साथियों समेत मिली जमानत.

Dhankuber Saurabh Sharma: करोड़ों रुपये के सोने के मामले में जेल गए परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा (former constables Saurabh Sharma) को मंगलवार को जमानत मिल गई. इसके साथ ही चेतन सिंह और शरत जयसवाल को भी अदालत ने बेल दी है. दरअसल, लोकायुक्त ने 60 दिन में चालान पेश नहीं किया इसलिए आरोपियों को यह राहत दी गई है. वहीं कोर्ट ने लोकायुक्त के इस रवैये पर हैरानी भी जताई. लोकायुक्त की विशेष न्यायाधीश राम प्रताप मिश्र ने यह आदेश दिए हैं.
बता दें कि 28 मार्च को 60 दिन हो चुके हैं, इसके बावजूद अभी तक चालान पेश नहीं हुआ. कोर्ट ने लोकायुक्त के इस रवैये पर हैरानी जताई. हालांकि जमानत मिलने के बाद भी सौरभ, शरद, चेतन फिलहाल जेल से बाहर नहीं आएंगे. तीनों आरोपियों को ईडी के मामले में जेल में रहना पड़ेगा.
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार, 18 दिसंबर 2024 को लोकायुक्त पुलिस ने परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके राजदारों व बिजनेस पार्टनर चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल के भोपाल व अन्य ठिकानों पर छापेमारी कर करोड़ों की संपत्ति बरामद की थी। इसके बाद 19-20 दिसंबर की दरमियानी रात ही आयकर विभाग की टीम ने रातीबड़ क्षेत्र में स्थित मेंडोरा के जंगल में बने एक फार्म हाउस में लावारिस हालत में खड़ी इनोवा से करीब 54 किलोग्राम सोना और दस करोड़ से अधिक की नकदी बरामद की थी। इसके बाद आयकर विभाग भी सौरभ शर्मा और उसके साथियों के खिलाफ जांच शुरू की और रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की है। इस बीच 27 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी सौरभ शर्मा और उसके करीबियों के भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर स्थित ठिकानों पर छापा मारा था और फिर कोर्ट से रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की है।
जीतू पटवारी ने उठाए सवाल
सौरभ व उसके साथियों को जमानत मिलने के बाद जीतू पटवारी ने सवाल उठाते हुए कहा है- मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार की नई परतें खुलती जा रही हैं और सत्ता के संरक्षण में बड़े आर्थिक अपराधियों को बचाने का खेल जारी है। यह मामला केवल एक घोटाले का नहीं, बल्कि पूरे सरकारी तंत्र की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार अब इतनी गहराई तक समा चुका है कि वह प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों ही स्तरों पर दिखाई देने लगा है। यह संकट केवल आर्थिक अपराधों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रदेश की न्याय व्यवस्था और कानून के शासन पर भी एक गंभीर हमला है।