Breaking
22 Jan 2025, Wed

कोयला खनन परियोजना के लिए जिंदल द्वारा जंगल कटाई : सीबीए ने नागरामुड़ा के ग्रामीणों के आंदोलन का किया समर्थन, कहा — “जंगल कटाई का आदेश अवैध, वापस ले सरकार”

रायपुर। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) ने रायगढ़ जिले में जिंदल पावर लिमिटेड की गारे पेल्मा 4/1 कोयला खदान के विस्तार के लिए जिंदल द्वारा पेड़ों की जा रही अवैध कटाई की तीखी निंदा की है और भाजपा राज्य सरकार से वन कटाई के आदेश को वापस लेने की मांग की है। सीबीए ने आरोप लगाया है कि जिंदल द्वारा की जा रही अवैध जंगल कटाई का काम राज्य सरकार के संरक्षण और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।

उल्लेखनीय है कि प्रभावित गांव नागरामुड़ा के ग्रामीण पिछले 45 दिनों से अवैध जंगल कटाई के खिलाफ धरना में बैठे हुए हैं। इस आंदोलन के समर्थन हेतु 19 जनवरी को छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के एक प्रतिनिधिमंडल ने ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उनके संघर्ष में एकजुटता प्रदर्शित की। इस प्रतिनिधिमंडल में संजय पराते, आलोक शुक्ला, रमाकांत बंजारे और अमित आदि शामिल थे।

नागरामुड़ा के ग्रामीणों — जानकी सिदार, बेबी कौर, दिलेश्वर यादव, अनंतराम भोये, केतन भोये, बोधराम बिस्वाल तथा नित्यानंद निषाद आदि — ने बताया कि उनके क्षेत्र में जिंदल द्वारा जंगल कटाई शुरू करवाने के बाद तत्काल ही ग्रामीण एकजुट हुए और उन्होंने कटाई का विरोध किया। इस विरोध के कारण फिलहाल कटाई रुकी हुई है। वन मंडलाधिकारी के द्वारा दिए गए पेड़ कटाई के आदेश को देखकर उन्हें पता चला कि छत्तीसगढ़ शासन ने अक्टूबर 2023 में 297 हेक्टेयर जमीन में खनन का पट्टा जिंदल कंपनी को स्वीकृत किया है और उनके जंगल कटाई की वन स्वीकृति केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के द्वारा जुलाई 2023 में दी गई है। ग्रामीणों ने शासन प्रशासन पर कंपनी से मिलीभगत का आरोप लगाया है।

जनपद सदस्य कन्हाई पटेल ने बताया कि जंगल जमीन की वन स्वीकृति की कटाई के सम्बन्ध में कभी भी ग्रामसभा ने सहमति नहीं दी है। आज भी उनके गांव में सामुदायिक अधिकार और सामुदायिक वन संसाधन के वन अधिकारों की मान्यता नहीं की गई है। गांव के केवल दो किसानों की व्यक्तिगत वन अधिकार की जमीन का बिना अधिग्रहण किए कंपनी के द्वारा जबरन कब्जा कर लिया गया है, जबकि बिना बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनको आज तक व्यक्तिगत वनाधिकार पत्रक भी नहीं दिए गए हैं।

धरना पर बैठे ग्रामीणों से संवाद करते हुए छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजकमंडल के सदस्य आलोक शुक्ला ने कहा कि पूरे प्रदेश में यही हालात हैं। ग्राम सभाओं की सहमति के बिना या फर्जी और कूट रचित दस्तावेज तैयार करके खनन कंपनियों के द्वारा वन स्वीकृतियां हासिल की जा रही हैं । प्रदेश का पूरा तंत्र इसी प्रक्रिया में लगा हुआ है। आदिवासी, मजदूर और किसानों के हकों में बने कानूनों की छत्तीसगढ़ में धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

रमाकांत बंजारे ने आंदोलन को और अधिक मजबूत और व्यापक करने का आह्वान करते हुए कहा कि रायगढ़ में विस्थापन के खिलाफ जारी अलग-अलग संघर्षों को एकजुट करने की आवश्यकता है।

अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा के उपाध्यक्ष संजय पराते ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए राज्य और केंद्र सरकार की कॉर्पोरेट परस्त नीतियों की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन के साथ मिलीभगत करके जिंदल द्वारा इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों को लूटा जा रहा है और इसके लिए कानूनों को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है और उन्हें विस्थापित होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस अवैध खनन, लूट और विस्थापन के खिलाफ संघर्ष में छत्तीसगढ़ के सभी जन आंदोलन एकजुट हैं।

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की ओर से आलोक शुक्ला और संजय पराते द्वारा जारी

By archana

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *