पंचनद, जालौन: राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में चंबल संग्रहालय द्वारा आयोजित चंबल मैराथन का पांचवां संस्करण 12 जनवरी 2025 को आयोजित किया जाएगा। इस अनूठी मैराथन की तैयारियां जोरों पर हैं, जिसमें प्रतिभागियों के जोश और आयोजन की भव्यता ने इसे खास बना दिया है। चंबल मैराथन की शुरुआत सुबह 8 बजे इटावा के डॉल्फिन सफारी, सहसो से होगी और यह पांच नदियों के संगम पंचनद पर समाप्त होगी।
मैराथन का मार्ग बल्लो गढ़िया, हरके पुरा, चंबल आश्रम हुकुमपुरा, जायघा, मई, और जगम्मनपुर जैसे ऐतिहासिक स्थलों से गुजरते हुए न केवल धावकों को रोमांचित करेगा, बल्कि चंबल क्षेत्र के प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व को भी उजागर करेगा। इस आयोजन में औरैया, इटावा, जालौन, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, धौलपुर, आगरा और अन्य क्षेत्रों के सैकड़ों धावक भाग लेंगे।
चंबल मैराथन: प्राकृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल
चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने बताया कि चंबल मैराथन का मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देना और चंबल के बीहड़ी गांवों, प्राकृतिक सौंदर्य, और ऐतिहासिक महत्व को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है। 42.195 किमी की इस मैराथन का रूट इटावा, भिंड, और जालौन जिलों के गांवों और जंगलों से होकर गुजरेगा।
डॉ. राना ने कहा, “इस आयोजन के माध्यम से धावकों को चंबल अंचल की अनोखी विशेषताओं का अनुभव होगा। यहां की सरसों के पीले फूल, बलखाती नदियां, औषधीय पौधों से भरे जंगल, प्रवासी पक्षियों के झुंड, और मगरमच्छों व डॉल्फिन की अठखेलियां धावकों को एक अलग अनुभव प्रदान करेंगी।”
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन
चंबल मैराथन केवल एक खेल आयोजन नहीं है, बल्कि यह चंबल क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को उजागर करने का प्रयास भी है। बीहड़ों से होकर गुजरने वाले इस मार्ग में प्रतिभागी उन स्थानों को देख सकेंगे, जो कभी डाकुओं और बागियों की शरणगाह हुआ करते थे। मैराथन का अंतिम पड़ाव पंचनद संगम, जहां चंबल, यमुना, सिंध, पहुंज और क्वारी नदियों का मिलन होता है, अपने आप में एक अद्वितीय स्थान है।
धावकों में उत्साह और रजिस्ट्रेशन का जोर
चंबल मैराथन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है और विभिन्न राज्यों के धावकों में इसे लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। डॉ. राना ने बताया कि इस बार मैराथन को ऐतिहासिक बनाने के लिए कई नई पहल की गई हैं। धावकों को मार्ग में चंबल की खूबसूरती के साथ-साथ इस क्षेत्र की स्थानीय सांस्कृतिक झलक भी देखने को मिलेगी।
प्राकृतिक पर्यटन के साथ रोमांचकारी अनुभव
चंबल मैराथन का रूट प्राकृतिक और रोमांचकारी अनुभवों से भरा होगा। धावक यहां सरसों के लहलहाते खेतों, मिट्टी के भरखों, पीपे के पुलों और रेतीले मैदानों से गुजरेंगे। इसके अलावा, चंबल की घाटियों में प्रवासी पक्षियों के झुंड, मगरमच्छों की अंगड़ाई, और डॉल्फिन की अठखेलियां धावकों को अद्भुत अनुभव प्रदान करेंगी।
डॉ. राना ने कहा, “चंबल मैराथन सिर्फ दौड़ने का कार्यक्रम नहीं है, यह प्रतिभागियों को चंबल की प्राकृतिक और सांस्कृतिक संपदा से परिचित कराने का प्रयास है।”
जिला प्रशासन और स्थानीय सहयोग की अपील
चंबल संग्रहालय ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन और स्थानीय समुदाय से सहयोग की अपील की है। डॉ. राना ने कहा, “हम चाहते हैं कि यह आयोजन चंबल क्षेत्र के पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहरों को नई ऊंचाईयों तक ले जाए। इसके लिए प्रशासन और स्थानीय लोगों का सहयोग आवश्यक है।
चंबल मैराथन केवल एक खेल आयोजन नहीं, बल्कि चंबल क्षेत्र के प्राकृतिक और सांस्कृतिक सौंदर्य को विश्व पटल पर ले जाने की पहल है। 12 जनवरी 2025 को आयोजित इस मैराथन में धावक न केवल दौड़ेंगे, बल्कि चंबल के अद्भुत परिदृश्यों, ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों का अनुभव करेंगे। इस आयोजन से चंबल क्षेत्र के पर्यटन को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।