महाराष्ट्र की 288 और झारखंड में दूसरे फेज की 38 विधानसभा सीटों पर बुधवार को वोटिंग खत्म हो गई। झारखंड में 13 नवंबर को पहले फेज में 42 सीटों पर वोटिंग हुई थी। राज्य में 81 सीटें हैं। दोनों राज्यों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे।
महाराष्ट्र में 10 एग्जिट पोल आए हैं। इनमें से 6 में भाजपा गठबंधन की सरकार बनने का अनुमान जताया गया है, जबकि 3 में कांग्रेस गठबंधन की सरकार का अनुमान है। एक में किसी को बहुमत नहीं मिलता दिख रहा है।
झारखंड के लिए अब तक 7 एग्जिट पोल आए हैं। 5 में भाजपा गठबंधन को तो 2 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस गठबंधन को बहुमत मिलने के आसार जताए गए हैं।
जिसमें चुनाव में अलग-अलग पार्टियों को मिलने वाली सीटों और वोट शेयर का अनुमान लगाया गया है. मैटराइज के एग्जिट पोल के अनुसार, राज्य में सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है और झारखंड़ में इस बार भाजपा गठबंधन की सरकार बनती नजर आ रही है, जबकि यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के साथ बने ‘इंडी’ गठबंधन को बड़ा झटका लगता दिख रहा है.
बता दें कि झारखंड में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन होने का इतिहास रहा है. 81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में बहुमत के लिए 41 सीटों की जरूरत होती है. एग्जिट पोल के मुताबिक, झारखंड में भाजपा गठबंधन को 42 से 47 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक को 25 से 30 सीटें जीतने का दावा किया गया है. जबकि अन्य के खाते में 1 से 4 सीट जाने का अनुमान लगाया गया है.
साल 2019 के विधानसभा चुनावों में जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 47 सीटें और एनडीए को 25 सीटें मिली थी. वोट शेयरिंग की बात करें तो, मैटराइज के एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा गठबंधन को 44.9 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद है. जबकि, जेएमएम-कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन का वोट शेयर 38.2 फीसदी रह सकता है. वहीं, सर्वे में अन्य को 16.9 प्रतिशत वोट शेयर का अनुमान लगाया गया है.
मैटराइज एग्जिट पोल के सैंपल साइज की बात करें तो राज्य के 87 हजार से ज्यादा लोगों की राय इसके लिए ली गई. इसमें 41 से हजार से अधिक पुरुष, 29 हजार से ज्यादा महिलाएं और 15 हजार से अधिक युवाओं की राय शामिल है.
एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में फर्क ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल चुनावी सर्वे हैं। ओपिनियन पोल को चुनाव से पहले किया जाता है। इसके नतीजे भी चुनाव से पहले जारी होते हैं। इसमें सभी लोगों को शामिल किया जाता है। मतलब जरूरी नहीं कि सर्वे के सवालों का जवाब देने वाला मतदाता ही हो। इस सर्वे में अलग-अलग मुद्दों के आधार पर जनता के मूड का अनुमान लगाया जाता है।
एग्जिट पोल चुनाव के दौरान किया जाता है। इसके नतीजे सभी फेज के मतदान खत्म होने के बाद जारी किए जाते हैं। एग्जिट पोल एजेंसियों के अधिकारी वोटिंग के दिन मतदान केंद्रों पर मौजूद होते हैं। वे मतदान करने के बाद वोटर्स से चुनाव से जुड़े सवाल पूछते हैं।
वोटर्स के जवाब के आधार पर रिपोर्ट बनाई जाती है। रिपोर्ट का आकलन किया जाता है, जिससे पता चले कि वोटर्स का रुझान किस तरफ ज्यादा है। इसके बाद नतीजों का अनुमान लगाया जाता है।