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22 Feb 2025, Sat

नहीं सुधर पा रहा ऐतिहासिक स्थल पर बिजली का ढर्रा 

अरुण कुमार शेंडे

रायसेन ऐतिहासिक नगरी सांची वैसे तो इस स्थल की पहचान विश्व भर मे एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में विख्यात है परन्तु इस स्थल की प्रसिद्धि से विद्धुत वितरण कंपनी लिमिटेड पूरी तरह लापरवाह बनी हुई हैं जिसका नतीजा इस स्थल की बिगड़ी बिजली व्यवस्था का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है इस स्थल की पहचान वैसे तो ऐतिहासिक रूप से जानी जाती हैं यहाँ देशविदेश से लोग दर्शनार्थ आते जाते है हालांकि देशविदेश के लोग यहाँ स्थित प्राचीन धरोहरों की प्रशंसा किये बगैर नहीं थकते इस तर्ज पर ही विद्धुत नियामक आयोग ने भी इस स्थल पर बिजली चौबीस घंटे व्यवस्थित रहने के निर्देश दिये थे परन्तु नियामक आयोग के निर्देश की तब धज्जियाँ वि वि कं द्वारा उडा दी जब इस स्थल पर बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है तथा घंटों बिजली का कोई अतापता ही रहता है हालांकि वितरण कंपनी द्वारा इस स्थल को चोबीस घंटे बिजली का भरोसा दिलाते हुए पहले डले तार हटा दिये गए बताया जाता है इन तारो का भी किसी को पता नहीं है तथा बिजली व्यवस्था सुचारू बनाने के लिए तार के स्थान पर केवल डाल दी गई थी तथा अधिकारी भरोसा दिलाते नहीं थकते कि केवल डलने के उपरांत अब बिजली व्यवस्था सुचारु बनी रहेगी परन्तु यह भरोसा लोगो का तब टूट गया जब लोगो के घरों में बिजली जलने के पहले ही यह केवल धूधू कर आग की लपटें छोडती जल उठती हैं इन केवल की आग से लोग सुरक्षित नहीं दिखाई देते हैं तथा यह घटिया केवल अपनी घटिया गुणवत्ता की कहानी स्वयं कह उठती हैं तब आसानी से इन बिजली केवल पर कहीं न कहीं सवाल खड़े होने लगते है परन्तु विद्दुत वितरण कंपनी के नीचे से ऊपर तक अधिकारी बेफिक्र बने बैठे हैं कहीं न कहीँ प्रश्न खडे होने लगते है इस स्थल की बिजली व्यवस्था से न तो अधिकारियों को ही फ्रिक है न ही प्रशासन ही इस बिजली व्यवस्था के ढर्रे की ही सुध ले पा रहा है इस विख्यात स्थल पर कब बिजली चली जाये कब आये किसी को भी नहीं पता रहता है इस बिजली के बिगड़े ढर्रे से न केवल लोगो की बिजली गुल हो जाती हैं बल्कि लोग गेहूँ पिसवाने से महरुम रह जाते है तथा पेयजलापूर्ति भी पूरी तरह गडबडा जाती हैं इसके साथ ही नगर में बिजली पर निर्भर मोबाइल के नेटवर्क भी पूरी तरह गडबडा जाते है जिससे सरकारी काम तो प्रभावित हो ही जाते है बल्कि बैंकिंग व्यवस्था भी पूरी तरह चरमरा जाती है इतना सब होते हुए भी स्थानीय स्तर पर न तो विद्धुत अधिकारी न ही कर्मचारियों की ही नींद टूट पा रही हैं

By archana

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