कर्ज, क्राइम और करप्शन के आरोपों के साथ कांग्रेस के विधानसभा घेराव को लेकर भोपाल पहुंचे जनसैलाब से घबराई और डरी बीजेपी की मोहन सरकार ने पहले तो विधानसभा ही स्थगित कर दी और फिर घेराव के लिए हजारों की संख्या में पहुंचे कांग्रेसजनों के सैलाब को रोकने के लिए सभा स्थल को ही खुली जेल घोषित कर प्रदर्शनकारी कांग्रेसजनों को गिरफ्तार कर बिना शर्त रिहा भी कर कांग्रेस के सामने खुद को नतमस्तक और सरेंडर कर दिया।
यह सब इसलिए हुआ क्योंकि भाजपा और मोहन सरकार को यह अंदेशा नहीं था कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के आव्हान पर इतनी बड़ी संख्या में प्रदेश भर से कांग्रेसजन भोपाल पहुंचेंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी की घेराव को लेकर पिछले कई दिनों से की गई व्यापक और जमीनी तैयारियों के चलते भीड़ का आंकलन करने के मामले में सरकार की इंटेलिजेंस भी पूरी तरह फैल साबित हो गई जो भोपाल पहुंचने वाली भीड़ का ठीक- ठीक आंकलन भी नहीं लगा सकी।
प्रदर्शन के लिए प्रदेश के सुदूर अंचलों से भारी संख्या में कार्यकर्ताओं की रवानगी की ख़बर मिलने के बाद सरकार, पुलिस और प्रशासन की सांसे फूलने लगी और भोपाल पहुंचने के पहले ही वाहनों को जबरदस्ती रोककर घेराव को विफल करने की साजिशें शुरू हो गई जिन्हें कार्यकर्ताओं के जोश और आक्रोश ने विफल कर दिया।
जनसैलाब से घबराई सरकार ताबड़तोड़ तरीके से विधानसभा की कार्यवाही को स्थगित कर घेराव का सामना करने से पहले ही पलायन कर गई। लेकिन अब सरकार के सामने इतनी बड़ी संख्या को नियंत्रित करने का सवाल खड़ा हो गया क्योंकि सरकार के अनुमान से कई गुना ज्यादा लोगों के पहुंचने के बाद उनके कंट्रोल के लिए कानून व्यवस्था पूरी तरह लाचार और बेबस हो गई। यदि कांग्रेसजनों को विधानसभा कूच करने से रोकने का सरकार प्रयास करती तो उसके पास मौजूदा स्थिति में पुलिस बल व अन्य इंतजाम नाकाफी थे और यदि गिरफ्तार किया जाता तो भी इतनी अधिक संख्या में वाहनों और क्षमता के हिसाब से जगह का पहले से कोई इंतजाम नहीं किया गया था।
अंततः कर्ज, क्राइम और करप्शन में डूबी, ऊपर से मजबूत होने का दिखावा करने वाली भाजपा की मजबूर सरकार ने अपने हथियार डालते हुए सभास्थल को ही खुली जेल घोषित कर उपस्थित जनसमूह की गिरफ्तारी की घोषणा कर दी और चंद सेकेंड बाद ही सभी को बिना शर्त रिहा भी कर दिया।
(राजनीतिक विश्लेषक एवं अध्येता राजनीति विज्ञान, सागर)