लोकसभा में मंगलवार को ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पेश किया गया. इस मौके पर सदन में अनुपस्थित रहने वाले सांसदों को भारतीय जनता पार्टी ने नोटिस भेजा है. बीजेपी के जो सांसद मंगलवार को ‘एक देश एक चुनाव’ बिल के इंट्रोडक्शन के समय मौजूद नहीं थे, पार्टी ने उनको नोटिस भेजा है.
लोकसभा में मंगलवार को ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पेश किया गया. इस मौके पर सदन में अनुपस्थित रहने वाले सांसदों को भारतीय जनता पार्टी ने नोटिस भेजा है. बीजेपी के जो सांसद मंगलवार को ‘एक देश एक चुनाव’ बिल के इंट्रोडक्शन के समय मौजूद नहीं थे, पार्टी ने उनको नोटिस भेजा है.
बीजेपी के 20 से ज्यादा सांसद आज वोटिंग के वक्त सदन में मौजूद नहीं थे. बीजेपी ने मंगलवार को अपने लोकसभा सदस्यों को सदन में मौजूद रहने के लिए तीन लाइन का व्हीप जारी किया था. एक देश, एक चुनाव’ के लिए मंगलवार को सरकार संसद में ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024’ और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 लेकर आई.
बीजेपी ने किन सांसदों को दिया नोटिस?
पार्टी की तरफ से जिन सांसदों को नोटिस दिया गया है, उनमें से कुछ के नाम भी सामने आए हैं-
जगदंबिका पाल
शांतुनु ठाकुर
बीएस राघवेंद्र
गिरीराज सिंह
ज्योतिरादित्य सिंधिया
विजय बघेल
भागीरथ चौधरी (मंत्री हैं, पीएम के प्रोग्राम में जयपुर थे)
उदयराजे भोंसले
जयंत कुमार रॉय
जगन्नाथ सरकार
जेपीसी को भेजा गया बिल
लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ये बिल पेश किए. लोकसभा में जोरदार हंगामे के बीच बात डिवीजन तक पहुंची और इसके बाद ये बिल सदन में पेश हो सका. एक देश, एक चुनाव पर राजनीतिक दलों के सुर अलग-अलग सुनाई दिए. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह बिल सदन में पेश करने का प्रस्ताव किया.
कांग्रेस से लेकर तमाम विरोधी पार्टियों ने इस बिल का विरोध किया. शिवसेना और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) जैसे एनडीए के घटक दल खुलकर बिल के पक्ष में खड़े नजर आए. यह बिल डिवीजन के बाद पेश हुआ और इसके बाद जेपीसी को भेज दिया गया
पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट
लोकसभा में यह बिल पेश किए जाने के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के बाद पर्चे से मतदान हुआ और तब जाकर यह बिल लोकसभा में पेश हो सका. देशभर में एक साथ चुनाव कराए जाने को लेकर पिछले साल सितंबर में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था. कमेटी ने मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इसी साल सितंबर में मोदी कैबिनेट ने इस रिपोर्ट को मंजूरी दी थी. इस रिपोर्ट में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा और पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाने को लेकर सुझाव दिए गए थे.