मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाले बड़े तालाब में एक बड़ा प्राचीन नगर डूबा है. इस दावे के साथ भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने संसद की स्थाई समिति को एक प्रस्ताव दिया है. शहरी मामलों की स्थाई समिति की बैठक में आलोक शर्मा ने पानी के अंदर सर्वेक्षण कर इस धरोहर को सामने लाने की वकालत की है.
और इसी तालाब के नीचे प्राचीन शहर के डूबे होने का दावा किया गया है. इस दावे के साथ सांसद आलोक शर्मा ने संसद की स्थायी समिति को एक प्रस्ताव दिया है.
शहरी मामलों की स्थायी समिति की बैठक में शर्मा ने पानी के भीतर सर्वेक्षण कर इस धरोहर को सामने लाने की वकालत की है.
दिल्ली में दिया प्रस्ताव
दरअसल, नई दिल्ली में संसद भवन में हुई बैठक में सांसद आलोक शर्मा ने कहा कि तालाब के किनारों पर दो बुर्ज और प्राचीन दीवारों के रूप में प्राचीन नगर के अवशेष अब भी मौजूद हैं. इसको लेकर वैज्ञानिक अध्ययन और खोज कराई जानी चाहिए. ताकि भोपाल की पुरानी विरासत पर पड़ा पर्दा उठ सके.
‘तालाब में अवशेष मौजूद’
सांसद आलोक शर्मा ने बताया कि भोपाल राजा-महाराजाओं की नगरी रही है, यहां 11वीं सदी की धरोहरें हैं. प्राचीन काल से ही इस शहर का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है. इनका सुंदरीकरण और संरक्षण, संवर्धन किया जाना चाहिए. बड़ा तालाब में ऐसी धरोहरों के अवशेष मौजूद हैं, जिनको लेकर कई वर्षों से दावे किए जा रहे हैं. इसकी खोज होना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि कई पुरातत्वविद बताते हैं कि इसमें वैदिक नगर बसा हुआ था.
पहले भी हुई थी चर्चा
जानकारी के अनुसार, साल 2009-10 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई ने भोपाल के बड़े तालाब में डूबे महल और किले के अवशेष की तलाश के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया था. इस प्रस्ताव के तहत मरीज आर्कियोलॉजी के विशेषकों को पानी के अंदर सर्वे करना था. लेकिन विशेषज्ञों की उपलब्धता के अभाव में केंद्र स्तर पर यह प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ था. इसके बाद इस पर दोबारा चर्चा नहीं हुई.
तालाब में मौजूद है मकबरा
भोपाल में मौजूद बड़ा तालाब का निर्णाण परमार वंश के राजा भोज ने 11वीं शताब्दी में कराया था. इस तालाब को एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील माना जाता है. इस तालाब का कुल क्षेत्र फल 31 वर्ग किलोमीटर है. तालाब के बीच में एक टापू है जिसे तकिया टापू कहा जाता है. इस टापू पर शाह अली शाह रहमतुल्लाह का मकबरा बना हुआ है.