उरई । जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा निर्माण श्रमिकों के लिए चलाई जा रही महात्मा गांधी पेंशन सहायता योजना उनके भविष्य को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के तहत, निर्माण श्रमिकों को 60 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद आजीवन मासिक पेंशन का लाभ प्रदान किया जाता है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए श्रमिकों को योजना में पंजीकरण कराना आवश्यक है। पंजीकृत श्रमिकों को अपने कार्यकाल के दौरान लगातार 10 वर्षों तक अंशदान जमा करना होगा। अंशदान की यह निरंतरता सुनिश्चित करती है कि श्रमिक को सेवानिवृत्ति के बाद रु० 1000/- प्रति माह की पेंशन प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि यह योजना न केवल श्रमिकों के आर्थिक भविष्य को सुरक्षित बनाती है, बल्कि उनके जीवन स्तर में सुधार लाने का भी प्रयास करती है। पेंशन का यह प्रावधान श्रमिकों को उनकी वृद्धावस्था में आत्मनिर्भर बनाएगा और उन्हें किसी पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने बताया कि सरकार का यह प्रयास श्रमिक वर्ग के प्रति उसकी संवेदनशीलता को दर्शाता है। इसके माध्यम से न केवल श्रमिकों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी, बल्कि समाज में उनकी भूमिका को भी सम्मानित किया जाएगा। जो श्रमिक इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, वे जल्द से जल्द श्रम विभाग कार्यालय से संपर्क करें और योजना की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते है।