Breaking
18 Dec 2024, Wed

मणिपुर में CM के दामाद का घर जलाया, 5 जिलों में कर्फ्यू , 3 मंत्री, 6 MLA के घर हमला….

मणिपुर में लापता हुए छह में से तीन लोगों के शव नदी के पास बरामद होने के एक दिन बाद, प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को राज्य के तीन मंत्रियों और छह विधायकों के आवासों पर हमले किए, जिसके बाद सरकार ने पांच जिलों में अनिश्चित काल के लिए निषेधाज्ञा लागू कर दी। उग्र भीड़ ने पहले राज्य के नेताओं के घरों पर हमला किया और फिर मुख्यमंत्री के आवास की ओर भी कूच किया। हालात बिगड़ते देख सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का सहारा लिया।

इसके अलावा राज्य के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के दामाद समेत छह में से तीन विधायकों के घरों में तोड़फोड़ की और उनकी संपत्तियों को आग लगा दी, जबकि सुरक्षा बलों ने इंफाल के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया।

CM के दामाद के घर के बाहर किया विरोध

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के दामाद और भाजपा विधायक आरके इमो के आवास के बाहर भी प्रदर्शनकारी जमा हो गए थे. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने इन हत्याओं पर उचित कार्रवाई करने की मांग की थी. इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने 24 घंटे के भीतर दोषियों को गिरफ्तार को करने को कहा था

मंत्रियों के आवास पर किया हमला

जानकारी के अनुसार, इंफाल पश्चिम जिले के लांफेल सनकेथेल में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री सपम रंजन के आवास पर भी भीड़ ने हमला कर दिया था. वहीं, भीड़ ने उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्री एल. सुसिन्द्रो सिंह के घर को भी निशाना बनाया है.

मंत्री ने की इस्तीफे की पेशकश

प्रदर्शनकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री सापम रंजन के घर पर हमला किया, जो इंफाल पश्चिम जिले के लम्पेल संकेइथेल में स्थित है. पुलिस ने बताया कि सापम ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि वे छह हत्याओं के मामले को कैबिनेट बैठक में उठाएंगे और यदि सरकार जनता की भावना का सम्मान नहीं करती, तो वह इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं.

मणिपुर में कैसे हुई हिंसा की शुरुआत?

मणिपुर में हिंसा की शुरुआत पिछले साल 3 मई से तब हुई, जब मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ कुकी-जो जनजाति समुदाय के प्रदर्शन के दौरान आगजनी और तोड़फोड़ की गई. दरअसल, मैतेई समुदाय ने इस मांग के साथ मणिपुर हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी कि उन्हें जनजाति का दर्जा दिया जाए.

मैतेई समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था. उससे पहले उन्हें जनजाति का दर्जा मिला हुआ था. मणिपुर हाई कोई ने याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने पर विचार किया जाए.

By archana

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *