अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका अजमेर सिविल कोर्ट ने स्वीकार कर ली। बुधवार को अदालत ने इसे सुनने योग्य माना है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से यह याचिका लगाई गई है।सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस भेजा है। मामले में अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
याचिका में रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा की 1911 में लिखी किताब अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला देते हुए दरगाह के निर्माण में मंदिर का मलबा होने का दावा किया गया है। साथ ही गर्भगृह और परिसर में एक जैन मंदिर होने की बात कही गई है।
अजमेर दरगाह पर मंदिर होने के दावे की याचिका स्वीकारअजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह हिंदू संकट मोचन मंदिर तोड़कर बनाने का दावा अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम ने स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने एएसआई दरगाह कमेटी और अल्पसंख्यक मामला विभाग को नोटिस भेजा है. मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर रखी गई है. दूसरे पक्ष को सुना जाएगा और इस मामले में अग्रिम कार्रवाई की जानी है. हिंदू सेना की राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा 25 सितंबर को अजमेर न्यायालय में अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को शिव मंदिर होने का दावा करते हुए वाद दायर किया था. यह वाद पहले अलग न्यायालय में पेश कर दिया गया जिसके चलते मुख्य न्यायालय में स्थानांतरण अर्जी लगाई गई. अब सिविल न्यायालय पश्चिम में केस ट्रांसफर किया गया.
फाइनली आज इस मामले में वादी विष्णु गुप्ता के वकील रामनिवास विश्नोई और ईश्वर सिंह द्वारा अपना पक्ष रखते हुए तमाम साक्षी और जानकारियां साझा की गई. बताया गया कि दरगाह को बने 800 साल से अधिक हुए हैं. इससे पहले यहां शिव मंदिर था और उसे तोड़कर दरगाह का निर्माण किया गया है. उन्होंने बताया कि हर मंदिर के पास एक कुंड होता है और वह भी वहां मौजूद है.
1910 में जारी हुई हर विलास शारदा की पुस्तक का भी दिया हवालासाथ ही पास में संस्कृत स्कूल भी मौजूद है, ऐसे में इसका सर्वे करवरकर हिंदू समाज को उन्हें मंदिर का निर्माण कर पूजा का अधिकार दिया जाए. उन्होंने 1910 में जारी हुई हर विलास शारदा की बुक का हवाला भी दिया जिसमें मंदिर को लेकर कई जानकारियां साझा की गई हैं. ऐसे ही कई जानकारियां 38 पन्नो के माध्यम से रखी गई हैं. जस्टिस मनमोहन चंदेल ने इस दावे को स्वीकार करते हुए नोटिस जारी करने की आदेश दिए हैं. यह नोटिस अजमेर दरगाह कमेटी के साथ ही अल्पसंख्यक मामला विभाग और एएसआई भारतीय पुरातत्व विभाग के नाम जारी किए गए हैं.