उरई । जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा श्रमिकों के लिए शिशु मातृत्व एवं बालिका मदद योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत पंजीकृत महिला श्रमिकों को संस्थागत प्रसव के लिए विशेष आर्थिक सहायता दी जाएगी। महिला श्रमिकों को प्रसव के बाद तीन माह के न्यूनतम वेतन के समकक्ष धनराशि और ₹1000 का चिकित्सा बोनस प्रदान किया जाएगा। वहीं, पंजीकृत पुरुष श्रमिकों को ₹6000 की एकमुश्त सहायता राशि दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत नवजात शिशुओं के पोषण पर विशेष ध्यान दिया गया है। पुत्र के जन्म पर ₹20000 और पुत्री के जन्म पर ₹25000 की सहायता राशि दी जाएगी। यह सहायता अधिकतम दो बच्चों के लिए मान्य होगी। यदि पहली संतान लड़की हो या दूसरी संतान भी लड़की हो, तो ₹25000 की राशि सावधि जमा के रूप में दी जाएगी, जो 18 वर्षों के लिए होगी। इसके अलावा, जन्म से दिव्यांग बालिकाओं को ₹50000 की सावधि जमा राशि प्रदान की जाएगी, जो 18 वर्षों तक सुरक्षित रहेगी।
यह योजना श्रमिक परिवारों के स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। सरकार का मानना है कि यह कदम श्रमिकों के जीवन स्तर को सुधारने और बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने में सहायक होगा।