आइएएस अधिकारी कुमार राजीव रंजन के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) सर्च ऑपरेशन चला रही है. IAS राजीव रंजन के ठीकानों पर यह सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. आय से अधिक संपति के मामले में यह सर्च ऑपरेशन जारी है. जम्मू से लेकर बनारस, पटना, गुरुग्राम तक में यह सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. जम्मू-कश्मीर के बहुचर्चित फर्जी गन लाइसेंस घोटाला मामले में IAS राजीव रंजन का नाम आया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया था.
बाद में फर्जी गन लाइसेंस घोटाला मामले में केंद्र सरकार ने CBI को IAS अधिकारी कुमार राजीव रंजन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी थी. राजीव रंजन उन नौ IAS अधिकारियों में शामिल हैं, जिन पर पैसे के बदले नियमों को ताक पर रखकर अपात्र लोगों के नाम पर बंदूक लाइसेंस जारी करने का आरोप है.
क्या था फर्जी गन लाइसेंस का मामला?
यह मामला जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों में वर्ष 2012-16 तक 2.74 लाख बंदूकों के लाइसेंस जारी करने का है. CBI ने इस मामले में अपनी जांच में पाया था कि IAS जेकेएएस के अधिकारियों और कई अन्य सरकारी कर्मचारियों ने बंदूक विक्रेताओं और बिचौलियों के साथ मिलीभगत और नियमों की अवहेलना कर लाइसेंस जारी किए. इस पूरे प्रकरण में बड़े पैमाने पर पैसे का लेनदेन हुआ.
कौन हैं राजीव रंजन?
कुमार राजीव रंजन 2010 बैच के AGMUT कैडर के IAS ऑफिसर हैं. वह मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं. उन्होंने UPSC सिविल सेवा की परीक्षा में 866 रैंक हासिल की थी. उन्होंने भावे यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. LBSNAA से ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग रेवेन्यू डिपार्टमेंट में डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर हुई थी. फर्जी गन लाइसेंस घोटाले में उन्हें CBI गिरफ्तार भी कर चुकी है.