नई दिल्ली। देश में इन दिनों प्रयागराज महाकुंभ की धूम चारों ओर मची हुई है। इस महाकुंभ में शामिल होने और इसका पुण्य लाभ प्राप्त करने के लिए भारत वर्ष से छोटे बड़े संत महात्मा से लेकर सभी महामण्डलेश्वर, नागा साधु, आम जनता तथा विदेश मेहमान भी आध्यात्मिक शांति की खोज में इसमें शामिल हो रहे हैं। प्रयागराज महाकुंभ 144 साल बाद इस तरह व्यापक स्तर पर आयोजित किया जा रहा है जैसे राज्य में किसी प्रकार का उत्सव मनाया का रहा हो। जाहिर तौर पर इस तरह के व्यापक आयोजन में शामिल हो रहे या होने वाले लोगों, अखाड़ों, साधु संतों को उनके पंडाल की व्यवस्था, भोजन तथा अन्य प्रकारों की व्यवस्था के लिए एक बड़ी राशि की आवश्यकता होती है। यह राशि उन साधु संतों को उनके अनुयायियों की तरफ से सहयोग के रूप में मिलती हैं जो महाकुंभ के आयोजन के दौरान उपयोग में आती है। पर सूत्र बताते हैं कि इस बार देश की जांच एजेंसी सीबीआई की वक्र दृष्टि कुछ साधु संतों को मिलने वाली दान की राशि पर टिक गई है। सूत्र बताते हैं कि हाल ही में निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी महराज के दिल्ली स्थित आवास से सीबीआई ने कई करोड़ रुपए जब्त कर लिया जो उनके अनुयायियों द्वारा सनातन धर्म के प्रचार प्रसार सहित महाकुंभ के आयोजन में शामिल होने के लिए महाराज जी को भेंट स्वरूप दी थी। गौरतलब है कि विगत कुछ महीनों से महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी महराज दुबई, लंदन, जापान जैसे कई देशों में सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए प्रवास पर थे।
सीबीआई की इस कार्रवाई पर सवाल उठते हुए कई साधु संतों ने कहा कि एक तरफ संघ प्रमुख मोहन भागवत महाकुंभ में सनातन धर्म के महत्ता को प्रतिपादित करने और प्रचार प्रसार के लिए कार्य करने की सलाह दे रहे हैं तो वही जांच एजेंसियों ने धर्म के सहयोग के लिए मिलने वाले दान पर नजर गड़ाए हुए है और उसे जब्त करने की कार्रवाई कर रही है, जबकि धर्म संस्थानों और साधु संतों को मिलने वाले दान का उपयोग उसी कार्य के लिए होता है।