अरुण कुमार शेंडे
रायसेन ऐतिहासिक नगरी सांची विश्वविद्यालय में 7 सदस्यीय दल ने की विशेष परिचर्चा 25 वर्ष पहले बौद्ध विहार की स्थापना हुई थी मैक्सिको में तिब्बती बौद्ध अनुयायियों को मैक्सिको आने का आमंत्रण दिया वैश्विक स्वरूप में है बौद्ध धर्म की सुंदरता कुलगुरु प्रो. लाभ उत्तरी अमेरिकी देश मैक्सिको से आए बौद्ध विद्वानों ने साँची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का दौरा किया दल के अगुवा और मैक्सिको में पहला बौद्ध विहार शुरु करने वाले माननीय श्री नंदीसेना समेत पूरे दल का स्वागत कुलगुरु प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने किया मैक्सिको वेनेज़ुएला और उरुग्वे के इस दल ने बताया कि 25 वर्ष पहले नंदीसेना जी ने मैक्सिको में पहला बौद्ध विहार स्थापित किया था दूसरी बौद्ध पद्धति के अनुयायी चाहे तो वे मैक्सिको में जमीन उपलब्ध करा सकते हैं परिचर्चा में कुलगुरु प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने 2600 वर्ष पहले लुंबिनी से प्रारंभ हुई गौतम बुद्ध की आध्यात्मिक यात्रा और उनके महापरिनिर्वाण के बारे में बताया उन्होंने कहा कि बुद्ध की शिक्षाएं इतनी सहज और सरल हैं कि बड़ी संख्या में लोग इसे अपना रहे हैं प्रो लाभ ने कहा कि दुनिया के लगभग सभी देशों में लोग बुद्ध की शिक्षाओं का अध्ययन कर रहे हैं खास कर अमेरिका, यूरोप और अफ्रीकी देशों में बुद्ध ने अपनी शिक्षा देने के लिए आमजन की भाषा पालि को चुना था उन्होने कहा कि बौद्ध धर्म की सुंदरता इसके वैश्विक स्वरूप में ही है परिचर्चा के दौरान श्री नंदीसेना ने बताया कि उनका बौद्ध विहार समुद्र तल से 1700 मीटर ऊंचाई पर स्थित है उन्होंने मैक्सिकों की सभ्यता के बारे में बताते हुए कहा कि यहां माया सभ्यता विकसित हुई एवं बाद में यूरोपियों का प्रभाव रहा 1970 में बौद्ध धर्म की महायान धारा के कुछ अनुयायी यहां पहुंचे थे बाद में 1990 में विपस्सना ध्यान की प्रेक्टिस करने वाले बौद्ध धर्म की दूसरी धारा थेरवाद के अनुयायी मेक्सिको पहुंचे थे श्री नंदीसेना अर्जेंटीना के रहने वाले हैं अमेरिका के केलिफोर्निया शहर में बौद्ध धर्म का अध्ययन करने के बाद श्री नंदीसेना मैक्सिको गए थे नंदीसेना जी धर्म धम्म सम्मेलन में पहले भी साँची विश्वविद्यालय आ चुके हैं इस दल में मेक्सिको से श्री नंदीसेना के अलावा बौद्ध अनुयायी जुआन व लूसिया उरुग्वे से सोलेदाद हेक्टर तथा एना मारिया तथा वेनेज़ुएला से बौद्ध अनुयायी विनस्टन शामिल थे