अरुण कुमार शेंडे
रायसेन ऐतिहासिक नगरी सांंची इन दिनों निर्माण के नाम पर लगातार तोडफोड जारी रहने से जहाँ पुलिया ध्वस्त हो रही हैं तो दूसरी बार पानी की टंकी मे पानी पहुचाने वाली लाइन भी टूटफूट रही हैं जिससे लोगो के आने जाने की समस्या खडी हो रही हैं नगर के बसस्टैंड परिसर के पिछले हिस्से में वाटर प्लांट ऐजेंसी द्वारा नगर में पानी की टंकी का लाखों रुपए की लागत से निर्माण कराया गया एवं इस टंकी पर पानी की पूर्ति हेतु पाइप लाइन बिछाई गई थी जिससे पानी की टंकी भरकर जलप्रदाय किया जा सके परन्तु इसी क्षेत्र में नप प्रशासन द्वारा सडक निर्माण कार्य करना बताया जा रहा है इस निर्माण को लेकर जेसीबी मशीन चलाई गई इस मशीन की सडक खुदाई लापरवाही पूर्व करते हुए सडक मे नीचे दबाई गई पाइप लाइन टूट फूट गई जिससे पाइप लाइन के फूटने से पानी सडक पर भर गया जिस कारण खुदाई थम गई तथा एक महीने से अधिक का समय गुजर गया इस क्षेत्र में लोगों को यही एक मात्र मार्ग आने जाने के लिए था इस मार्ग पर काफी पुरानी एक पुलिया भी बनी थी जिसपर होकर लोग गुजरा करते थे उस पुलिया को तहसनहस कर डाला गया तथा सडक खुदाई कर छोडऩे से सडक मे पानी भरा होने एवं खुदाई से मार्ग तहसनहस हो चुका है जबकि इसी मार्ग से होकर सरकार ने एक सामुदायिक विकास निर्मित कराया था उसतक पहुंचना भी दूभर हो चुका है इस मार्ग निर्माण के नाम पर रहवासियों के सामने समस्या खडी कर दी गई तथा प्रशासन ने भी इस ओर से अपनी आंखें बंद कर ली लोगों का निकलना आना जाना पूरी तरह बंद कर दिया गया इस मार्ग से पैदल चलना भी दूभर हो चुका है प्रशासन न तो इस कार्य को पूर्ण करने न ही लोगो के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था ही जुटा सका है वैसे भी यह स्थल एक विश्व ऐतिहासिक स्थल तो माना जाता है परन्तु इसके अनुरूप व्यवस्था नाकाफी बनी हुई हैं विकास की बडी बडी धीगे ही देखने सुनने को मिलती हैं जबकि जमीनी हकीकत स्वयं अपनी बदहाली बयां कर रही हैं ऐसा भी नहीं है कि सरकार लाखों करोड़ों की राशि आवंटित न हो रही हो इसके साथ ही नगर भर का संपत्ति कर न वसूला जा रहा हो परन्तु इन तमाम राशि से कहाँ जनकल्याण कार्य किये जा रहे हो किसी को अतापता नही रहता तथा नगर मे अनेक समस्या हल होने की बाट जोह रही हैं परन्तु न तो कोई सुनने न कोई देखने वाला ही दिखाई देता है आखिर कार लोग परेशान होकर चर्चा करते दिखाई दे ही जाते है तब आसानी से इस स्थल के विकास को जमीनी स्तर पर देखा जा सकता था