MP Court on Digvijay Singh: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) को डायरी में 11 करोड़ की एंट्री (Diary Entry Case) को लेकर इनकम टैक्स विभाग दिए गए आदेश मामले में बड़ी राहत मिली है. डिवीजन बेंच ने बहस के बाद आयकर विभाग (Income Tax Department) द्वारा जारी आदेश पर रोक लगा दी. कोर्ट ने आयकर विभाग को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कुछ दिनों पहले गुना के आयकर अधिकारी ने उन्हें एक नोटिस जारी किया था जिसमें उनसे 11 करोड़ रुपये का इनकम टैक्स न चुकाने की बात कहते हुए उन्हें धारा 148 के तहत पुनर्मूल्यांकन (Reevaluation) का आदेश दिया था. इस नोटिस के खिलाफ सिंह ने हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में चुनौती दी थी.
आयकर विभाग ने किया था दावा
आयकर विभाग ने 15 मार्च 2016 को सीआर मनोहर ग्रुप के यहां छापा मारकर सर्च और सीजर की कार्रवाई की थी. यह ग्रुप कर्नाटक के गोविंद राजू का बताया जाता है, जो उस समय कर्नाटक में एमएलसी और तत्कालीन मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव थे. आयकर विभाग ने दावा किया कि उनके यहां से जब्त की गई एक डायरी में दिग्विजय सिंह से 11 करोड़ रुपये का लेनदेन दिखाया गया था. आयकर विभाग ने जब वर्ष 2016-2017 का रिकॉर्ड खंगाला, तो पता चला कि दिग्विजय सिंह द्वारा इसमें उस 11 करोड़ रुपये का कोई टैक्स नहीं चुकाया गया था. इसके बाद आयकर अधिकारी गुना ने 23 मार्च 2023 को उन्हें एक नोटिस जारी किया. सिंह ने इस नोटिस का जवाब भी दिया, लेकिन आयकर विभाग ने जवाब से असंतुष्ट होते हुए धारा 148 में नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया कि एसेसमेंट वर्ष 2016-17 का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा.
आयकर विभाग को दिग्विजय ने कोर्ट में दी थी चुनौती
आयकर विभाग के इस आदेश के खिलाफ दिग्विजय सिंह ने हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में शरण ली थी. उनका तर्क था कि धारा 148 में नोटिस भेजने का अधिकार नेशनल फेसलेस सेंटर को है. यह आयकर अधिकारी के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. इसलिए जो नोटिस भेजा गया है वह गलत है. इस अपील पर गुरुवार को युगल पीठ में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद कोर्ट ने आयकर विभाग द्वारा आदेश पारित करने पर रोक लगाते हुए आयकर विभाग को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा है.