Breaking
22 Feb 2025, Sat

सीएम मोहन यादव का बड़ा ऐलान,ग्वालियर एंट्री गेट का नाम रखा ‘दाता बंदी छोड़ द्वार..

भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि पवित्र सिख धर्म के छठवें गुरु हरगोविंद सिंह के नाम पर दाता बंदी छोड़ द्वार मुरैना के रास्ते पर रखने की हम घोषणा कर रहे हैं। ग्वालियर शहर ग्वालियर चंबल संभाग में सिख समुदाय का बड़ा प्राचीन गौरवशाली इतिहास रहा है। बड़ी संख्या में सिख परिवार इस क्षेत्र में निवास भी करते हैं। सिखों के छठवें गुरु परम पूज्य हरगोविंद सिंह महाराज साहब को ग्वालियर के किले में मुगल बादशाह जहांगीर ने कई वर्षों तक बंदी बनाए रखा था। गुरु गोविंद सिंह के साथ 52 अन्य हिंदू राजा भी उनकी कैद में थे।

जब मुग़ल बादशाह ने गुरु हरगोविंद सिंह को रिहा करने का निर्णय लिया तो उन्होंने अपनी अकेली रिहाई से मना कर दिया था और 52 हिंदू राजाओं के साथ निकल के आने की इच्छा व्यक्त की थी। मुगल बादशाह ने मजबूर होकर 52 हिंदू राजाओं को भी हमारे छठवें सिख गुरु हरगोविंद सिंह जी महाराज साहब के साथ में रिहा किया। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि मैं आज इस अवसर पर ग्वालियर के पुरानी छावनी क्षेत्र में बनने वाले नगर द्वार का नाम दाता बंदी छोड़ द्वार रखने की घोषणा करता हूं।

क्या है कहानी?

ग्वालियर के विश्व प्रसिद्ध दुर्ग के ही एक बड़े हिस्से व ऊंचाई पर ऐतिहासिक गुरुद्वारा मौजूद है, जिसका नाम ‘दाता बंदी छोड़’ है. यह गुरुद्वारा सिख संगत में बड़े तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है. दुनिया भर से सिख सपरिवार हर साल यहां मत्था टेकने पहुंचते हैं.

मान्यता है और इतिहास में उल्लेख भी कि मुगल काल के दौरान लोगों में सिख धर्म के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए मुगल शासक जहांगीर ने सिखों के छठे गुरु हरगोविंद साहिब को बंदी बना लिया था. गुरु हरगोविंद साहिब ने मुस्लिम शासकों की धार्मिक शर्तें मानने से इनकार कर दिया था. जहांगीर ने गुरु महाराज को बंदी बनाकर ग्वालियर के किले में कैद कर दिया था. मुगल उस समय इस किले को अपने राजनीतिक बंदियों की कैद के लिए उपयोग करते थे. इस किले में साहिब के आने से पहले से ही 52 हिंदू राजा कैद थे. गुरु हरगोविंद जी जब जेल में पहुंचे तो सभी राजाओं ने उनका स्वागत किया. जहांगीर ने गुरु हरगोविंद को 2 साल 3 महीने तक जेल से बाहर नहीं आने दिया.

इस घटना के बाद रिहा हुए सिख गुरू

उसी दौरान अचानक एक घटना घटी. जहांगीर की तबीयत खराब होने लगी. हकीम से लेकर वैद्य तक सब उपचार में जुटे थे, लेकिन उनकी तबियत बिगड़ती ही जा रही थी. तभी एक शाही पीर ने जहांगीर को बताया कि ग्वालियर किले पर नजरबंद गुरु हरगोविंद साहिब को मुक्त कर दो, तभी आप ठीक हो सकते हैं. जान जाने से भयभीत जहांगीर ने उनकी बात मान ली. इसके बाद गुरू हरगोविंद साहिब को रिहा करने के लिए जहांगीर तैयार हुआ.

आखिरकार इसके बाद गुरु हरगोविंद साहिब की शर्त को स्वीकार करते हुए जहांगीर ने भी एक शर्त रखी. जहांगीर ने कहा कि कैद में गुरु जी के साथ सिर्फ वही राजा बाहर जा सकेंगे, जो गुरुजी का कोई कपड़ा पकड़े होंगे. इसके बाद गुरु हरगोविंद साहिब ने जहांगीर की शर्त को स्वीकार कर लिया.

चालाकी पर भारी पड़ा चमत्कार

जहांगीर की चालाकी को देखते हुए गुरु हरगोविंद साहिब ने एक 52 कलियों का चोंगा (कुर्ता) सिलवाया. इस तरह एक एक कली को पकड़ते हुए सभी 52 हिंदू राजा जहांगीर की कैद से आजाद हो गए. 52 हिंदू राजाओं को ग्वालियर के इसी किले से एक साथ छोड़ा गया था. इसलिए यहां बने इस स्थान का नाम दाताबन्दी छोड़ रखा गया था लेकिन कालांतर में यहां बने गुरुद्वारे का नाम ‘दाता बंदी छोड़’ के नाम से ही प्रसिद्ध हो गया. चूंकि यह रिहाई दीपावली के मौके पर हुई थी, इसलिए सिखों ने उनकी अगवानी के लिए घर घर दिए जलाए और तभी से सिख समाज भी अमावस्या और उसके एक दिन बाद तक घरों में दीपक जलाकर दीवाली मनाने लगा. ग्वालियर स्थित दाताबन्दी छोड़ गुरुद्वारे में भी दीपोत्सव होता है. यहां लाखों की तादात में सिख धर्म के अनुयाई अरदास करने आते हैं. यह पूरे विश्व में सिख समाज का छठवां सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है.

By archana

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *