बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने भतीजे और उत्तराधिकारी आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्त समेत दो बड़े नेताओं को बसपा से निकाल दिया है। बहनजी के नाम से मशहूर मायावती के द्वारा बसपा के दो वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से निष्सासित करने से अन्य नेताओं में हड़कंप मच गया है। बसपा प्रमख ने इन नेताओं पर कार्रवाई क्यों की, इसको लेकर मायावती ने खुद अपने सोशल मीडिया एक्स पर जानकारी दी है।
सोशल मीडिया एक्स पर मायावती ने लिखा, बीएसपी की ओर से ख़ासकर दक्षिणी राज्यों आदि के प्रभारी रहे डा अशोक सिद्धार्थ, पूर्व सांसद व श्री नितिन सिंह, ज़िला मेरठ को, चेतावनी के बावजूद भी गुटबाजी आदि की पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण पार्टी के हित में तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है। बसपा प्रमुख इस कार्रवाई के बाद पार्टी नेताओं में हड़कंप मच गया है। बतादें कि पिछले कुछ साल बसपा के लिए अच्छे नहीं रहे हैं। 12 में बसपा चुनाव हारने के बाद से ही सत्ता में वापसी के ख्वाब देख रही है।
2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को कुछ राहत मिली थी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा को फिर झटक गया। इसके अलावा बसपा ने दूसरे राज्यों में दांव आजमाया लेकिन वहां भी कुछ खास कमाल नहीं कर पाई। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी बसपा ने अपने उम्मीदवारों को उतारा था, लेकिन एक भी प्रत्याशी को जीत नहीं मिली। लगभग सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। बसपा कार्यकर्ताओं की उदासीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों को चलते बसपा सुप्रीमो को ये फैसला लेना पड़ा।
अशोक सिद्धार्थ का सियासी सफर कैसा?
अशोक सिद्धार्थ मायावती के बेहद करीबी और खास माने जाते रहे हैं. वह फर्रुखाबाद स्थित कायमगंज के निवासी हैं. मायावती के कहने पर ही उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी थी और बसपा में शामिल हो गए थे.
अशोक ने मेडिकल कॉलेज झांसी से आर्थोमेट्री में डिप्लोमा किया था. डॉ. सिद्धार्थ का जन्म 5 जनवरी 1965 को हुआ था. वह सरकारी सेवा के दौरान वामसेफ में विधानसभा, जिला व मंडल अध्यक्ष पदों पर रह चुके हैं. उन्होंने वर्ष 2007 में जनपद कन्नौज के गुरसहायगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनाती के दौरान इस्तीफा दे दिया था और बसपा में शामिल हो गए थे. पार्टी की ओर से वह पहली बार 2009 तथा दूसरी बार 2016 में एमएलसी रहे हैं.
वह बसपा में कानपुर-आगरा जोनल कोऑर्डिनेटर जैसे महत्वपूर्ण पद पर भी रहे हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय सचिव का पद के अलावा कर्नाटक, तमिलनाडु व केरल सहित पांच राज्यों का प्रभार भी संभाला है. वहीं, डॉ. सिद्धार्थ की पत्नी सुनीता सिद्धार्थ वर्ष 2007 से लेकर 2012 तक राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं.