बद्रीनाथ ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने महाकुंभ में भगदड़ की घटना पर कहा है कि सीएम योगी ने घटना को 18 घंटे तक छिपाए रखा. उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि अभी तक मौत के सही आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं.
इसको लेकर तमाम साधु-संतों ने शंकराचार्य का विरोध किया
अब इस मामले में अयोध्या के श्री हनुमत निवास पीठाधीश्वर महंत मिथिलेश नंदिनी शरण ने कहा कि, “महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन मची भगदड़ बेहद दुखद घटना है. लेकिन इस मामले में सरकार और सीएम योगी पर निशाना साधना सही नहीं है. वहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ है. महाकुंभ में असाधारण भीड़ है. जिस वजह से वहां पर सामान्य नियमों का पालन कर पाने में दिक्कत आ रही है. ऐसे में मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगना निराशाजनक है. एक महत्वपूर्ण पीठाधीश्वर के व्यक्ति का इस तरह का बयान देना बेहद लज्जा से भरा हुआ है.”
‘सीएम के कामों पर सवाल उठाना निराशाजनक’
उन्होंने आगे कहा मैं उनका प्रचारक नहीं हूं, लेकिन उनके कामों पर सवाल उठाना कुंठा जनक सोच है. इतने बड़े आयोजन में दुर्घटना संभावित है. आप अगर किसी बात पर असहमत हैं तो आपको अपनी बात रखने का तरीका आना चाहिए. इस तरह की बात लोगों में अराजकता पैदा कर रही है. कोविड महामारी में लाखों लोग मरे हैं, किसको इस्तीफा दे देना चाहिए. महाकुंभ में जो लोग मरे उनके प्रति मेरी गहरी संवेदना है. महाकुंभ में अत्याधिक भीड़ के कारण ये हादसा हुआ है. सेवा देते हुए पुलिसकर्मी की मृत्यु हुई है. सभी अच्छी बातों का पालन करने के बाद भी जहां जनसैलाब उमड़ता है, वहां स्वाभिवक इस तरह की घटना हो सकती है. मुख्यमंत्री के इस्तीफे की बात किसी भी धर्माचार्यां को शोभा नहीं देती है. सीएम योगी ने इस दुर्घटना के प्रति संवेदना व्यक्त की है.
अविमुक्तेश्वरानंद की वसीयत को अखाड़ा परिषद ने फर्जी बताया
रवींद्र पुरी ने महाकुंभ को लेकर सरकार की व्यवस्थाओं को सराहा। कहा- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का शंकराचार्य पद पर हुआ पट्टाभिषेक गलत है। इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
रवींद्र पुरी ने गुरुवार को निरंजनी अखाड़े की छावनी में कहा- CM योगी सनातन धर्म की रक्षा और संतों की सेवा के पर्याय बन गए हैं। महाकुंभ हादसा एक महज संयोग था। इसे लेकर CM के इस्तीफे का परमादेश स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कैसे जारी कर सकते हैं।
रवींद्र पुरी बोले- 13 अखाड़ों के संत योगी के साथ
रवींद्र पुरी ने कहा- अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने गुरु की फर्जी वसीयत के आधार पर खुद को शंकराचार्य घोषित किया है। गुरु की समाधि से पहले ही उन्होंने अपना पट्टाभिषेक करा लिया था, जो विधि सम्मत नहीं है। इसकी जांच कराई जानी चाहिए। रवींद्र पुरी ने कहा- सभी 13 अखाड़ों के पदाधिकारी और शीर्ष संत CM योगी के साथ हैं।
बता दें कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गुरुवार को CM योगी पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए भाजपा से उन्हें हटाकर किसी और को मुख्यमंत्री बनाने का परमधर्मादेश जारी किया था।