राजेंद्र सिंह राजपूत
बाड़ी।जिले की रेत खदानों में दोहरे नियम देखने मिल रहे हैं यहां यदि कोई बगैर नेताओं के संरक्षण प्राप्त व्यक्ति अपने परिवार के भरण पोषण के लिए क्षेत्र में रेत का व्यपार करता है तो मानों वह बहुत बड़ा गुनहगार है हो जाता है और उसकी धरपकड़ में जब उसका वाहन जप्त होता है तब खबरें ऐसे वायरल होती हैं कि मानों प्रशासन ने इससे बड़ी कार्यवाही कभी की ही नही।किंतु जब इसी रेत का अबैध परिवहन करते जब कोई संरक्षण प्राप्त रेत माफिया का वाहन पकड़ाता है तब उसपर छूट का पर्दा डाल दिन के उजाले में बकायदा प्रशासन की मौजूदगी से ही रिहा करदिया जाता है,,यहाँ हम बात किसी के पक्ष या विरोध की नही करेंगे किंतु क्षेत्र में जब अन्य गरीब लोगों के ट्रेक्टर ट्रॉलियों को रेत ठेकेदार के कर्मचारी पकड़ते हैं तब प्रशासन उनपर तत्काल कार्यवाही करता है और जब सत्ता धारी नेताओं का संरक्षण प्राप्त लोगों के ट्रेक्टर ट्रॉली पकड़ाते हैं तब उन्हें बाइज़्ज़त रिहा करदिया जाता है ..हाल ही में विगत दिन पहले बरेली में एक ट्रैक्टर ट्रॉली को रेत ठेकेदार के कर्मचारियों ने पकड़ा जिसपर प्रशासन ने कार्यवाही की आज पुनः ठेकेदार के कर्मचारियों ने एक ट्रैक्टर ट्रॉली को पकड़ा किन्तु उसे बगैर कार्यवाही छोड़ दिया गया ..बताया जा रहा है ऊक्त वाहन सत्ता धारी नेताओं से संरक्षण प्राप्त है ।अब सबाल यह उठता है कि क्या गरीबों को अपने परिवार के भरण पोषण करने के लिए नेताओं के बड़े बड़े फ्लेक्स ओर विज्ञापन लगबाने पड़ेंगे ?क्या खनिज विभाग अपनी कार्यवाही निष्पक्ष रूप से कर रहा है?क्या सारे नियम मध्यम वर्गीय ओर गरीब लोगों के ट्रेक्टर ट्रोलयों के लिए ही बने हें?।गौर करने बाली बात तो यह है कि जब यही ट्रेक्टर ट्रॉली संचलाक रेत ठेकेदार के कर्मचारियों की गुंडागर्दी की शिकायतें प्रशासन से करते हैं तब प्रशासन इनको ही उल्टा ठहराता है किंतु जब सत्ता पक्ष के लोगों के ट्रेक्टर ट्रॉली पकड़ाते हें तब यही रेत ठेकेदार के कर्मचारी गुंडे बदमाश बन जाते हैं…क्षेत्र वासियों की यह आजकी समस्या नही बल्कि वर्षों पुरानी है जिससे आजतक कोई जन प्रतिनधि निजात नही दिला पाया ।