राकेश अचल
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हरियाणा और जम्मू-काश्मीर विधानसभाओं के लिए चुनाव होने के बाद आज और कल का दिन खबरों के लिहाज से शून्यकाल है। इस शून्यकाल में मै अपने सूबे मध्यप्रदेश को ले रहा हूँ । एक जमाना था जब देश में पंजाब ‘ उड़ता पंजाब ‘ हो गया था और एक समय ये है कि हमारा मध्यप्रदेश पंजाब के बाद अब ‘ उड़ता मध्यप्रदेश ‘ हो गया है।मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सूबे के हर जिले में बरसाना बसना चाहते हैं लेकिन उनकी पुलिस की अकर्मण्यता ने प्रदेश के हर जिले में ‘ड्रगिस्तान ‘ बसा दिए है।
मध्यप्रदेश कमाई उड़ता हुआ तो बहुत दिनों से देख रहा था,लेकिन इस बारे में लिखने में संकोच कर रहा थी । कौन अपनी जाँघा उघाड़कर दिखाए, लेकिन जब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दस मोदी जी ने शनिवार को महाराष्ट्र में कहा कि-“ कांग्रेस नशे के पैसों से चुनाव लड़ना चाहती है तो मुझे अपना उड़ता हुआ मध्य्प्रदेश नजर आने लगा।
दुनिया जानती है कि भारत में मोदी युग के कथित अमृतकाल की वक्त ने उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है । 8 अक्टूबर को इसका प्रमाण भी मिलने जा रहा है। माननीय प्रधानमंत्री जी के कांग्रेस पर लगाए गए आरोप के कुछ ही घंटों बाद डबल इंजिन से चलने वाली प्रचंड बहुमत वाली मप्र सरकार की राजधानी भोपाल में 1800 करोड़ रू.के ड्रग्स मेफेद्रोन [ एम डी ] की फ़ेक्ट्री और 5000 करोड़ के कच्चा माल भी पकड़ा गया है।
आपको पता है कि मध्यप्रदेश के भोपाल और इंदौर शहर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है। इसके लागू होने के चलते ये यह फ़ेक्ट्री कई दिनों से चल रही थी लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं थी । या फिर पुलिस कमिश्नर से लेकर दूसरे तमाम लोग इस नशे के कारोबार के बारे में सब कुछ जानते हुए इसे संरक्षण दे रहे थे,क्योंकि पैसा सबको चाहि। सरकार को भी और पुलिस वालों को भी। सब जानते हैं कि मध्यप्रदेश में पिछले 21 वर्ष से भाजपा कि सरकार है न कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप साहब की सरकार।
मुमकिन है कि कांग्रेस नशे के पैसे से चुनाव लड़ रही हो लेकिन हकीकत ये है कि माननीय प्रधानमंत्री जी के गृहराज्य गुजरात जिसे ‘गांधी का गुजरात ‘ भी कहा जाता है पिछले अनेक वर्षों से नशे का ‘ हृदय प्रदेश ‘ बना हुआ है। मप्र की सीमाओं से सभी क़िस्म का नशा गुजरात होते हुए गोवा तक जा रहा है । अब गुजरात में हमारे पड़ौसी पाकिस्तान के नवाज़ शरीफ़ की सरकार तो है नहीं। गुजरात में भी 22 साल से दुनिया कि सबसे बड़ी पार्टी भाजपा कि सरकार है। खास बात ये है कि जिस प्रदेश में पूर्ण शराब बंदी हैं वहां देश कि सबसे बड़ी ‘ नशे की मंडी ‘ बन गयी है
मध्य्प्रदेश में तो नशे कि बड़ी खेप कल पकड़ी गयी है किन्तु आपको याद होगा कि . गुजरात के ही मुंद्रा पोर्ट में 22 हज़ार करोड़ रू. की ड्रग बहुत पहले पकड़ी जा चुकी है। यह ‘ पोर्ट ‘ किसका है और पोर्ट वाले पर किसकी कृपा बरस रही है ये देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया जानती है। यह ड्रग्स कहां से आई, किसने भेजी,कहां-कहां पहुंचनी थी, यह रहस्य काल के गाल में कहां समा गय। यह भी ठीक वैसा ही रहस्य है,जैसे जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में हमारे 40 सैनिकों की शहीदी के लिए चाक चौबंद सुरक्षा के बावजूद भी 350 क्विंटल आरडीएक्स कहां से आया था ?
मुझे हैरानी है कि प्रधानमंत्री जी के अधीन देश के सुरक्षा सलाहकार, तीनों सेना,रॉ,एनआईए,सीबीआई जैसी तमाम महत्वपूर्ण सुरक्षा एजेंसियां मौजूद हैं, फिर भी डबल इंजिन से चलने वाले गुजरात और मध्यप्रदेश में आख़िरकार इसतरह की सेंध कहां से लग रही है ? कौन लगा रहा हैं ? क्या यह सरकार संरक्षित उपक्रम है या इन सभी एजेंसियों को पंगु बना दिया गया है ?
हम जैसे नामुराद लोग अक्सर सत्ता प्रतिष्टान में बैठे लोगों को आइना दिखने का काम करते आये हैं। इसलिए अनुरोध भी करते रहते हैं कि सत्ताधीश इसे अपना अपमान नसमझे । उन्हें पता होना चाहिए कि आइना चाहे कांच का हो या पानी का सही तस्वीर दीखता है । नारद जी को भी इसी जल मुकुर ने उनका मर्कट रुप तब दिखाया था जब वे राजकुमारी के मोह में पड़ गए थे। मेरा मध्य प्रदेश के पढ़े-लिखे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से अनुरोध है कि वे बात-बात पर पुलिस अधिकारीयों का तबादला करने,उन्हें निलंबित करने के बजाय सबसे पहले अपने प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को ही बदल ले, बेहतर हो कि वे पुलिस कमिश्नर प्रणाली कि ही समीक्षा कर देखें । क्योंकि यदि पुलिस कमिश्नर प्रणाली में छेड़ न होते तो मध्यप्रदेश आसानी से ‘ उड़ता मध्यप्रदेश ‘ न बन पाता। मध्यप्रदेश में गुजरात कि पुलिस का घुसना और दर्ज का जखीरा पकड़ना ही इस बात का प्रमाण है कि इस कारोबार के पीछे मध्य्प्रदेश कि पुईस भी होगी और चुनाव लड़ने वाले लोग भी।
ड्रग माफिया पर रेड की कार्रवाई अचानक तो नहीं हुई है। जाहिर है कि मध्यप्रदेश पुलिस ने जब इस तरह कार्रवाई करने से अपना चेहरा छिपाया होगा तब जाकर गुजरात एटीएस ने यह कार्रवाई की योजना बनाई होगी ,क्योंकि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की सूचना होती तो कार्रवाई करने के लिए गुजरात एटीएस की मदद नहीं लेती। दोनों राज्यों में एक ही दल की सरकार है इस सूचना को मध्यप्रदेश पुलिस को बता कर कार्रवाई कराई जा सकती थी। परंतु मध्य प्रदेश पुलिस पर गुजरात एटीएस को कदापि भरोसा नहीं था यह कारण है कि जब सूचना पर कार्रवाई करने की बात आयी तो नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की मदद ली। सूचना एनसीबी की होती तो वह मध्यप्रदेश पुलिस के साथ मिलकर कार्यवाही कर लेता।
प्रश्न उठता है कि यह सब ड्रग्स का कारोबार मध्यप्रदेश में कब से चल रहा था और इसका किन किन प्रांतों में फैलाव है। इस नेटवर्क से जुड़े हुए मध्यप्रदेश के तस्करों को चिन्हित कर गिरफ़्तार किया जायेगा या नहीं ? जिस जगह पर जिस व्यापक स्तर पर यह कारोबार चल रहा था उस पर भोपाल पुलिस, क्राइम ब्रांच, एसटीएफ़, ख़ुफ़िया विभाग, राज्य नारकोटिक्स ब्यूरो किसी को पता नहीं चलना यह दर्शाता है कि पुलिस कुछ भी नहीं कर रही है और यह स्पष्ट रूप से पुलिस विभाग के मुखिया की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े करता है क्योंकि उनकी इस कमजोरी का सीधा प्रतिकूल असर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की छवि व नेतृत्व क्षमता पर पड़ता है।
‘ उड़ते मप्र ‘ के मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश को बतौर मुख्यमंत्री व बतौर गृहमंत्री मध्यप्रदेश अपनी छाप वैसे ही छोड़ना चाहिए जैसे डम्फर से एक्सीडेंट पर परिवहन आयुक्त और गुना के पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को हटा दिया था या गोवंश पर सर्वाधिक कार्रवाई करने वाले ज़िले में कुछ गोवंश को मार कर फेंकने के मामले में सिवनी के पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को हटा दिया था या एक दीवार गिरने पर सागर के पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को हटा दिया था या एक प्रायोजित दंगा रोकने और दंगाइयों पर कार्रवाई करने के लिए पुलिस अधीक्षक रतलाम के हटाने की कार्रवाई करके दिया था। या फिर डॉ मोहन यादव वैसी ही चुप्पी साध लेंगे जैसे लोकसभा चुनाव की घोषणा और परिणाम की घोषणा के मध्यप्रदेश पुलिस की छवि धूमिल करने और अकर्मण्यता के कारण शहडोल, आगर मालवा, अशोक नगर और सिहोर के पुलिस अधीक्षकों को हटाते -हटाते इनका नाम लेना तक भूल गए।