सुनील त्रिपाठी
प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस
एसआईटी हिमाचल प्रदेश में मुस्लिम जिहादी समूहों के साथ क्रिप्टोकरेंसी लिंक खोजने में विफल रही।
अभी तक भारत में मुस्लिम जिहादी समूहों और आतंकवादियों के साथ क्रिप्टोकरेंसी लिंक के कुछ मामले सामने आए हैं, लेकिन ये मामले अपेक्षाकृत दुर्लभ और असामान्य हैं। कई बार देखा गया है कि आतंकवादी संगठन अपनी वित्तीय गतिविधियों को गुप्त रखने और पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम से बचने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करते हैं।
इस संबंध में कुछ मुख्य बिंदु उल्लेखनीय हैं:
आतंकवादी वित्तपोषण:
कुछ रिपोर्टों ने दावा किया है कि आतंकवादी संगठन अंतरराष्ट्रीय फंड ट्रांसफर के लिए क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यह तेज़ है और सीमा प्रतिबंध के बिना है। यह पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम की तुलना में गुमनामी और गोपनीयता प्रदान करता है।
कानूनी कार्रवाई:
भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां आतंकवादी वित्तपोषण पर कड़ी नज़र रखती हैं और ऐसे किसी भी मामले में कानूनी कार्रवाई की जाती है। इसके लिए संदिग्ध लेनदेन और डिजिटल मुद्रा के उपयोग की जांच की जाती है।
जागरूकता और निगरानी:
सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग को विनियमित करने और संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य वित्तीय संस्थान आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने के लिए क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन की निगरानी करते हैं।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग कई वैध उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है, जैसे निवेश, व्यापार और डिजिटल संपत्तियों की कस्टडी। इसलिए, कानूनी और अवैध क्रिप्टोकरेंसी के बीच भ्रम बना रहता है।
एसआईटी को हिमाचल प्रदेश में मुस्लिम जिहादी समूहों से क्रिप्टोकरेंसी के संबंध का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला है। हालांकि, दुनिया भर में कुछ आतंकवादी संगठन फंडिंग और गुप्त लेनदेन के लिए क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि यह पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम की तुलना में अधिक गुमनाम और अप्राप्य है।
नवाब अली और हैदराबाद के हबीब दुबई में गिरोह के सरगना हैं। हैदराबाद का हबीब नवाब अली हिमाचल में नेटवर्किंग चेन के जरिए अपने साथी हिमाचली राजेंद्र सूद के जरिए सीधे दुबई गिरोह चलाता था। हिमाचली लोगों का पैसा हवाला के जरिए दुबई भेजा गया है। वे हिमाचल में सैकड़ों लोगों से करोड़ों की ठगी करने के बाद दुबई में भगोड़ों की तरह अपनी अवैध क्रिप्टोकरेंसी नेटवर्किंग चला रहे हैं।
लेकिन, यह जरूरी है कि ऐसे मुद्दों पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले विस्तृत जांच और सबूतों पर विचार किया जाए। बिना सबूत के किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी या आरोप समाज में गलत धारणाओं को जन्म दे सकते हैं। अगर हिमाचल प्रदेश में इस तरह के संबंध का कोई ठोस सबूत सामने आता है, तो इसकी जांच कानून प्रवर्तन एजेंसियों से करवाई जानी चाहिए।
यदि भारत सरकार किसी विशेष घटना या संदर्भ के बारे में जानना चाहती है तो इस संदर्भ में ठोस जानकारी जुटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की मदद लेनी होगी, इसमें इजरायल की जांच एजेंसी मोसाद या यूएसए की जांच एजेंसी सीआईए ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हाल ही में इन दोनों एजेंसियों ने ईरान के प्रॉक्सी ग्रुप हिजबुल्लाह के क्रिप्टोकरेंसी कार्टेल का पर्दाफाश किया था। जिसमें ईरानी प्रॉक्सी ग्रुप हिजबुल्लाह हमास और हौथी ने इजरायल और अमेरिका के खिलाफ खुलेआम आतंकी गतिविधियां की हैं। दुर्भाग्य से यूएसए में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण यूएस एजेंसी सीआईए क्रिप्टोकरेंसी गैंग कार्टेल को तोड़ने में विफल रही है। अब 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास के हमले के बाद इजरायल की मोसाद जांच एजेंसी और आईडीएफ ने इन प्रॉक्सी ग्रुप की आर्थिक स्थिति कमजोर करके इनकी कमर तोड़ दी है। लेबनान में अवैध क्रिप्टोकरेंसी और लेबनान रिजर्व बैंक पर आईडीएफ द्वारा हमला किया गया जिसमें ब्लास्टर बम का इस्तेमाल कर सारी करेंसी नष्ट कर दी गई। और अवैध क्रिप्टोकरेंसी कार्टेल से जुड़े आतंकियों को चुन-चुन कर मारा जा रहा है।