अरुण कुमार शेंडे
प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस
रायसेन ऐतिहासिक नगरी सांची वैसे तो यह नगर विश्व ऐतिहासिक माना जाता है इस स्थल पर विकास के बडे बडे दावे होते तो देखने सुनने को मिलते रहते हैं यह दावे तब खोखले दिखाई देने लगते है जब मूलभूत सुविधाओं के रूप में बस स्टैंड परिसर के भीतरी क्षेत्र में कहीं भी कोई निशुल्क शौचालय अथवा मूत्रालय न होने से परिसर में पहुंचने वाले लोगों को शौच एवं मूत्र की गंभीर समस्या से जूझने पर मजबूर होना पडता है यह स्थल विश्व के मानचित्र पर अपना नाम ऐतिहासिक पर्यटक स्थल के रूप में दर्ज करा चुका है परन्तु इस स्थल के अनुरूप जो मूलभूत सुविधाएं मुहैया की जानी थी उनका अभाव दिखाई देता है इसका खामियाजा न केवल नगर वासियों व्यवसाइयों पर्यटकों को उठाना पड़ रहा है वैसे तो सरकारें लाखों करोड़ों रुपये की राशि इस स्थल पर सुविधाओं सुंदरता विकास का जामा पहनाने पर आवंटित कर रही हैं बावजूद इसके इस स्थल के अनुरूप यहां सुविधाओं की दरकार बनी हुई है हालांकि रेलवे स्टेशन रोड पर लाखों की लागत से वर्षों पूर्व सुलभ काम्प्लेक्स का निर्माण कराया गया था परन्तु इस काम्पलेक्स की जिम्मेदारी किसी कंपनी के हाथों में सौपी गई है इस काम्पलेक्स का उपयोग करने वाले लोग चाहे स्थानीय हो अथवा बाहरी निर्धारित शुल्क चुका कर ही करना बताया जाता है जबकि बसस्टैंड परिसर काफी व्यस्ततम क्षेत्र माना जाता है इस परिसर में सैकड़ों विभिन्न खानपान सहित विभिन्न वस्तुओं का व्यापार लोग करते हैं तथा इन दुकानों पर न केवल स्थापित बल्कि बडी संख्या में बाहरी लोग आते जाते रहते हैं परन्तु इस परिसर में कहीं कोई न तो सुलभ शौचालय न ही कहीं कोई मूत्रालय की व्यवस्था न होने से लोगों को खासी परेशानी उठाने पर मजबूर होना पडता है तब लोग शोच अथवा निस्तार हेतु अपने कारोबार छोड़ काम्प्लेक्स दूर होने के कारण नहीं जा पाते यही हाल पर्यटकों का भी होता है शौच व निस्तार की जरूरत पडने पर लोग यहां वहां सूनी जगह ढूंढते दिखाई देते है तथा विवशता वश खूले मे निस्तार करने मजबूर होना पडता है ।इस समस्या से सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को उठानी पड़ती है तथा महिलाएं भी यहाँ वहां निस्तारण के लिए भटकने पर मजबूर हो जाती हैं हालांकि पहले इस परिसर में दुकानों के नजदीक ही सूने क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन ने शौच मूत्र व्यवस्था हेतु शौचालय स्थापित किया था जिसका उपयोग न केवल व्यवसायी बल्कि बाहरी लोग भी सुविधा पूर्वक उठा लेते थे परन्तु इस सुलभ शौचालय को वर्षों पूर्व तत्कालीन स्वर्गीय प्रभारी सीएमओ द्वारा आनन फानन में उसे बिल्डोजर चलवा कर जमीदोंज कर दिया जिसमें शासन की लाखों रुपये भेंट चढ़ गए तब से ही बसस्टैंड परिसर के भीतरी भाग में स्थानीय हो अथवा बाहरी इस समस्या से जूझने मजबूर होना पडता है जबकि यह एक मूलभूत सुविधा मानी जाती है तब नगर में बाहरी लोगों को इस समस्या से जूझना पड़ता है तब न केवल स्थानीय प्रशासन पर सवाल खड़े होते है बल्कि इस ऐतिहासिक स्थल की छवि पर भी विपरीत असर पड़ता है परन्तु इन सबसे स्थानीय प्रशासन पूरी तरह बेखबर बना बैठा हुआ है हालांकि ऐसा भी नहीं है कि इस गंभीर समस्या से सम्बंधित बेखबर हो तब लोगों को आसानी से खुले में शौच एवं निस्तार करते देखा जाता है तब इस विख्यात स्थल पर ऐसी अनेक सुविधाएं हैं जो व्यवस्थित होने की बाट जोह रही हैं