पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने एक बार फिर कांग्रेस से बीजेपी में आए नेताओं पर बयान दिया है। खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह ने कहा, ‘कोई कहे कि हम ऐसे लोगों को स्वीकार कर लें तो पार्टी करे या न करे, पर मैं कभी स्वीकार नहीं करूंगा।’
भूपेंद्र सिंह ने यह बात शनिवार रात सागर में कही। वे यहां मोतीनगर इलाके में दीपावली मिलन समारोह में शामिल होने आए थे। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के लोग कितना अत्याचार करते थे। क्या-क्या नहीं होता था लेकिन कार्यकर्ता हमारे साथ लड़ने, मरने के लिए जेल जाने के लिए…फर्जी केसों के लिए तैयार रहता था।
आज वो कार्यकर्ता हमारे पास आता है तो क्या हम कह दें कि तुम सुरखी विधानसभा के हो इसलिए मेरे पास मत आओ। क्या इतनी मानवता, नैतिकता नहीं होनी चाहिए कि हम उसका काम कर पाएं या न कर पाएं लेकिन उससे चाय की तो पूछ ही सकते हैं। इसका मतलब यह थोड़ी हो गया कि हमें सुरखी विधानसभा से चुनाव लड़ना है।’
कार्यकर्ताओं की मेहनत से खुरई से चुनाव जीता भूपेंद्र सिंह बोले- मैं खुरई से चुनाव लड़ा। इतना आतंक, अन्याय, अत्याचार था कि खुरई के अंदर भाजपा का कार्यकर्ता सरपंच-पार्षद का चुनाव लड़ने फॉर्म नहीं भर सकता था। विधायक का फॉर्म भरने लोग डरते थे। मेरा कोई प्लान नहीं था खुरई से चुनाव लड़ने का। मैं तो सुरखी से चुनाव लड़ता था।
सांसद था, तभी पार्टी ने कहा कि खुरई से चुनाव लड़ना है। पार्टी के आदेश पर खुरई से चुनाव लड़ा और कार्यकर्ताओं की मेहनत से जीत गया।
कांग्रेस के लोगों ने पोलिंग बूथ के अंदर घुसकर मारा विधायक ने कहा- जिस वक्त राजबहादुर सिंह लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे, कार्यकर्ताओं को पोलिंग बूथ के अंदर घुसकर पुलिस की उपस्थिति में कांग्रेस के लोगों ने मारा। मुझे सूचना मिली, मैं पहुंचा और अपनी गाड़ी से कार्यकर्ताओं को अस्पताल में भर्ती कराया।
72 कार्यकर्ता घायल हुए थे। अब कोई कहे कि हम ऐसे लोगों को स्वीकार कर लें पार्टी में…पार्टी करे या न करे, पर मैं कभी स्वीकार नहीं करूंगा।
कहा था-कॉल डिटेल निकालकर दबाव बना रही पुलिस इससे पहले भूपेंद्र सिंह ने कॉल डिटेल निकालकर पुलिसकर्मियों पर दबाव बनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने उप मुख्यमंत्री और सागर जिले के प्रभारी मंत्री राजेंद्र शुक्ला के सामने यह मुद्दा उठाया। 6 नवंबर को जिला योजना समिति की बैठक में भूपेंद्र सिंह ने कहा- स्थानीय पुलिस अधिकारी एसपी और आईजी की अनुमति के बगैर कुछ लाेगाें के फोन नंबर और मोबाइल का सीडीआर निकाल रहे हैं। इनका मिस यूज किया जा रहा है।
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए जांच कराने की बात कही है।
एसपी ने सफाई में कहा था- यह हमारे अधिकार में नहीं बैठक में मौजूद एसपी विकास शाहवाल ने कहा था- आरोप गलत हैं। यह हमारे अधिकार में ही नहीं है।क्या किसी के फोन टैप करना या उसकी कॉल डिटेल्स निकालना इतना आसान है? पुलिस या कोई भी जांच एजेंसी कब किसके फोन टैप कर सकती है? कितने दिन तक कर सकती है? कैसे करती है? कानून में इसके क्या प्रावधान हैं?