राजेंद्र सिंह राजपूत
प्राचीन देवस्थान बापौली धाम पूज्य गुरुजी की दिव्य तपोस्थली क्षेत्रीय धर्म आस्था का केंद्र पर दिनांक 11 से 16 तक भव्य शास्त्र चंडी यज्ञ और महा रुद्राभिषेक 125 विद्वानों द्वारा प्रतिदिन
11 से 16 नवंबर तक श्री सहस्र रुद्रचण्डी होमात्मक शिव अभिषेक: वापोली से मांगरोल तक 35 किलोमीटर में भव्य शोभायात्रा..
बरेली। क्षेत्र के लोगों की धार्मिक आस्थाओं के केंद्र वापोली धाम में संत श्री लाल बाबा जी जन्मू वाले गुरुजी की कठिन साधना के 14 वें वर्ष के उपलक्ष्य में श्री सहस्र रुद्रचण्डी होमात्मक शिव रुद्राभिषेक होगा। 11 से 16 नवंबर तक संपन्न होने जा रहे इस विशाल आयोजन के लिए तैयारियां अंतिम दौर में हैं।
आयोजन के संबंध में गुरुजी लाल बाबा जी ने बताया कि प्रतिदिन प्रात: 8 से 12 बजे तक 125 विद्वानों द्वारा दुर्गा सप्तशती पाठ किया जाएगा तथा 25 विद्वान हवन करेंगे। दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक 121 विद्वानों द्वारा शिव रुद्राभिषेक और 25 द्वारा हवन होगा। शाम 6.30 बजे से श्रद्धालु संतों के आशीर्वचनों का लाभ उठा सकेंगे।
पूर्वजों की धरोहर है वापोली धाम
वापोली धाम इस क्षेत्र के पूर्वजों की अनमोल धरोहर है। महान संत ब्रह्मलीन संत श्री सच्चिदानंदघन गुरुजी वापोली वालों की यह तपस्थली रही है। मैं तो इस धरोहर की सुरक्षा का दायित्व निभा रहा हूं। यह आयोजन इस क्षेत्र के लोगों का अपना है। इसे यादगार बनाने के लिए लिए तन—मन से जुट जाएं। मैने स्वयं को ईश्वर और गुरुदेव की प्रेरणा से आप सभी के लिए समर्पित कर रखा है। मेरा घर—द्वार—परिवार आप सभी हैं। मेरा प्रेम, क्रोध, अपेक्षाएं और आंकांक्षाएं सभी कुछ आपके लिए हैं। बहुत अच्छा होता है तो यह आपकी उपलब्धि होगी और त्रुटियों के लिए आप अपने दायित्व से इंकार नहीं कर सकते। यह बात संत लाल बाबा जी ने से श्रद्धालुओं के नाम संदेश में कही। उन्होने स्मरण दिलाया कि संतों के प्रताप से यह क्षेत्र किसी भी बडी प्राकृतिक आपदा और अनहोनियों से सुरक्षित रहता है। यहां तक कि कोरोना जैसी महामारी भी अधिक क्षति नहीं पहुंचा सकी।
वापोली से मांगरोल तक शोभायात्रा
आयोजन के समापन दिवस 16 नवंबर को वापोली से नर्मदा तट मांगरोल तक लगभग 35 किलोमीटर में भव्य शोभायात्रा निकलेगी। मांगरोल में शिवरुद्राभिषेक होगा और उज्जैन से पधारे विद्वान ब्राह्मणों द्वारा भव्य भस्म आरती की जाएगी। इसके बाद पार्थिव शिवलिंग नर्मदा में विसर्जित किए जाएंगे। शोभायात्रा का सेमरी, मेहरागांव, कामतोन, बरेली, नयागांव, महेश्वर, बागपिपरिया, अलीगंज और फिर मांगरोल सहित कई स्थानों पर शिवलिंगों की पूजा—अर्चना होगी। इसके लिए सभी स्थानों पर तैयारियां चल रही हैं। बरेली में शोभायात्रा के स्वागत के लिए सभी संगठन बैठक करके रूपरेखा तय करेंगे।
कौन हैं संत लाल बाबा जी
संत लाल बाबा जी जम्मू वाले मूलत: जम्मू के रहने वाले हैं। देश के कई स्थानों पर तपस्या करते हुए वे इस नर्मदा अंचल में आए तो यहीं के हो गए। संत श्री ने 12 वर्ष का क्षेत्र सन्यास लिया और लगातार वापोली में भूमिगत कुटी में कठोर साधना की। कुछ समय पहले वे देशभर में फैले शिष्यों के साथ नर्मदा परिक्रमा के लिए निकल रहे थे। यह सूचना मिलने पर क्षेत्र के हजारों श्रद्धालु वापोली पहुंच गए और किसी तरह बाबा जी को वापोली में ही ठहरने के लिए मना ही लिया। तब जम्मू वाले गुरुजी ने भावुक होकर कहा था, ‘एक सन्यासी लोगों के प्रेम के आगे हार गया।’ वापोली में जिले की संभवत: सर्वश्रेष्ठ गौशाला के साथ ही संस्कृत पाठशाला भी संचालित हो रही है। अपने अनूठे अंदाज से वे अब तक हजारों लोगों को व्यसन मुक्त कर चुके हैं। संकल्प तोडने वालों की प्रेमपूर्वक पिटाई करते हुए भी उन्हे देखा जा सकता है।
प्रस्तावित है करीब 12 करोड लागत के मंदिर का निर्माण
वापोली में गुजरात के कारीगरों द्वारा करीब 12 करोड रुपए की लागत से निकट भविष्य में पत्थर से मंदिर का निर्माण प्रस्तावित है। इस मंदिर की वास्तुकला अत्यंत सुंदर और आकर्षक होगी। यहां आध्यात्मिक कक्ष, पुस्तकालय और सांस्कृतिक केंद्र भी होंगे। मंदिर के संबंध में पूछे जाने पर गुरुजी ने कहा कि यह ईश्वर इच्छा और गुरु कृपा इसका निर्धारण करेंगे।