मध्य प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी को लेकर मचा बवाल कम होने का नाम नहीं ले रहा है. अब पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ने इस कार्यकारिणी पर सवाल खड़े किए हैं. प्रदेश कार्यकारिणी पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने कहा-जिन नेताओं की वजह से कांग्रेस की ये दुर्दशा हुई है, उनके कहने पर ये कार्यकारिणी बनी है. पार्टी को खत्म करने वाले कार्यकारिणी बनाएंगे, तो भगवान ही मालिक है.
कांग्रेस को बचाने के लिए कमेटी निरस्त होना चाहिए
रायसेन जिले की उदयपुरा विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके श्रमिक कांग्रेस के अध्यक्ष हाकिम सिंह रघुवंशी ने तो पीसीसी की कार्यकारिणी निरस्त करने की मांग कर दी है। उन्होंने कहा, ‘पीसीसी टीम बनने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में बहुत निराशा है। बहुत पक्षपात हुआ है। बहुत गलत लोगों को पदाधिकारी बनाया गया है, जो ऑफिस में चक्कर लगाते हैं, फील्ड में कोई काम नहीं करता।’
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस को बचाने के लिए यह कमेटी निरस्त होना चाहिए। जिनकी उपेक्षा हुई, जो संघर्ष के समय के साथी हैं, उनको पार्टी में लिया जाना चाहिए। जीतू पटवारी को अंधेरे में रखा गया है। सलाहकारों ने उनको गलत बताया या फिर उन्हें सही बात सुनने का समय नहीं है। यह उनके लिए और कांग्रेस पार्टी के लिए ठीक नहीं हैं।’
. गोविंद सिंह ने जताई नाराजगी
दरअसल, कांग्रेस में भीतर खाने से खबर है कि कांग्रेस की कार्यकारिणी को लेकर कई बड़े नेता नाराज हैं, जिनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह का नाम भी बताया जा रहा है. जो जीतू पटवारी की नई टीम से नाराज नजर आ रहे हैं. वे अपने समर्थकों को जगह नहीं मिलने से नाखुश है, गोविंद सिंह ने अपने पांच समर्थकों के नाम दिए थे, लेकिन किसी को जगह नहीं मिली. ग्वालियर-चंबल इलाके में अच्छा सियासी रसूख रखने वाले सिकरवार परिवार के किसी सदस्य को भी कार्यकारिणी में नहीं रखा गया है. गोविंद सिंह कांग्रेस के सीनियर नेता हैं, वह लगातार 7 विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं, हालांकि 2023 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
लक्ष्मण सिंह ने भी उठाए सवाल
वहीं कांग्रेस के अपने नेता ही इस पर सवाल उठा रहे हैं. पूर्व सांसद और पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह को भी प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है, लेकिन उन्होंने टीम पर सवाल उठाए हैं. लक्ष्मण सिंह ने लिखा ‘177 सदस्यीय पीसीसी टीम का गठन करने पर बधाई, अगर ये सभी केवल अपनी विधानसभा जितवा दे तो सरकार बन जाएगी. पर क्या ऐसा होगा ? अभी तक यह अदभुत प्रयोग सफल नहीं हुआ है.’ सूत्रों मुताबिक नई कार्यकारिणी में कई सीनियर नेताओं के समर्थकों को अपेक्षाकृत कम जगह मिली है.