सुनील त्रिपाठी प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस
महाकुम्भ में आज देर रात्रि अपने शिविर के बाहर विश्राम कर रहे सैकड़ों दर्शनार्थियों को अपने शिविर के भीतर बुलाकर उनके लिए चाय व भोजन एवं रुकने की व्यवस्था करवाकर कोलकाता से आई लगभग 80 वर्षीय माताजी कलावती देवी को करोड़ों हिंदुओं के समागम महाकुंभ में आने के अदम्य साहस व हौसले की प्रशंसा करते हुए *जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व कैविनेट मंत्री माननीय श्री रघुराज प्रताप सिंह राजा भइया सनातन धर्म और सनातनियों के प्रति राजा भैय्या ऐसे ही प्रोत्साहित सदैव करते रहे हैं।अभी नंबर 2024 में बागेश्वर धाम सरकार बालाजी हनुमान जी के परम कृपा प्राप्त धीरेन्द्र शास्त्री द्वारा निकाली गई सनातन यात्रा में मा० राजा भैय्या यात्रा में सामिल ही नहीं हुएं बल्कि उन्होंने सनातन धर्म विरोधियों को अपने प्रखर उद्बोधन से एलान कर दिया कि सनातन की नींव इतनी गहरी है कि उसे मिटाने वालों की जो पीडि़यां अभी भारत में और भारत देश के बाहर बैठकर षड्यंत्र कर रहे हैं सावधान हो जाओं नहीं तो सनातनियों हिन्दू ने अगर पलटवार कर दी तो जाओंगे कहा । जहाँ जाना कैसे जाओगे क्योंकि जिन के पास जाओगे उनके पास तो भी खाने का भी तो नहीं दूसरों के द्वारा फेके टुकड़ों पर जीते हैं।इस लिए रण ठाना भूलकर भी तो ठिकाना ढूढ़ लो मेरे भाई हमारे सनातन धर्म का अर्थ ही है कि किसी को दु:ख न देना सुख देना हमने सीखा जब बात धर्म की आती है तो मिट जाते हैं। सोच बुरी रखने वालों गौर जरा कर लो हम हम चैन से जीते जियों जीने की नीति पर हम सब भारतवासी रहते हैं। इतिहास सनातन धर्म का गौरवशाली था। है सदा रहेगा भी तुम अपना इतिहास बताना हमको सूर्पनखा के वंशज शुक्राचार्य के शुक्राणु हम सब की कापी करते गौर जरा फरमाना यारों मक्का मदीना में कौन है बैठा जिसकी जियारत करते हो। वहाँ बैठे भोले बाबा श्रीराम चन्द्र को काल्पनिक कहते शिव भी तो तेरे मदीना। शिव के आराध्य राम जी है। क्यों जाते तुम मदीना में क्या भारत में शिव दिखते नहीं। जिन्हें देखकर रोजा करते वही चांद शिव के मस्तक में जीना तो जियों प्रेम क्या अन्तर है यहाँ और मदीना में आज का सनातनी बदल गया औरंगजेब की औलादों अब तुम्हें पर नहीं मिलेगा जयचंदो की पीड़ी खत्म हुई। आज का भारत बदल गया। गोरी को तुम अब बिसराओं । यहाँ पशुओं का करतब याद करो मातृभूमि का कर्ज उतारने को चेतक भी लड़ता है राणाप्रताप को क्यों भेल गयें। यहाँ का बच्चा बच्चा बलिदानी बन बैठा। टेंट कनात के दिन गुज़र गये। अयोध्या में मेरा स्वामी अब अपने घर आकर बैठ। अब डर काहे का भाई आयोध्या में आये रघुराई।जय श्री जय सनातन