उरई । जिलाधकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने जिला महिला अस्पताल में पल्स पोलियो बूथ दिवस का शुभारंभ पोलियो की ड्राप पिलाकर किया। जिलाधिकारी ने कहा कि दिव्यांगता से बच्चों को बचाने के लिए पोलियो की दवा पिलाना जरूरी है। पोलियो की बीमारी जन्म के समय और जन्म के बाद भी हो सकती है, इसलिए दवा पिलाने में लापरवाही न बरते। जो भी टीमें दवा पिलाने आए, उनका सहयोग करते हुए दवा पिलाने का काम करें।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. देवेन्द्र कुमार भिटौरिया ने बताया कि पल्स पोलियो अभियान के जिले में 1188 बूथ बनाए गए है। जिन पर आज 0 से पांच साल तक के 212747 बच्चों को दवा पिलाई जा रही है। आज दवा पीने जो बच्चे छूट जाएंगे, उन्हें दवा पिलाने के लिए नौ दिसंबर से 13 दिसंबर 2024 तक 590 टीमें 331802 घरों में घर घर जाकर दवा पिलाने का काम करेगी। घर घर जाने वाली टीमों के पर्यवेक्षण के लिए 190 पर्यवेक्षकों को लगाया गया है। उन्होंने बताया कि 16 दिसंबर को घर घर भ्रमण के बाद गांव के बाहर या बीमार बच्चे जो दवा पीने से छूट गए है, उन्हें दवा पिलाई जाएगी। इसके अलावा यात्रा करने वाले बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने के लिए 41 ट्रांजिंट टीमें लगाई गई हैं। उन्होंने बताया कि अभियान की रोजाना शाम को समीक्षा बैठक होगी। अभियान के पर्यवेक्षण के लिए जिला स्तरीय नोडल अधिकारी नामित किए गए हैं। इस अवसर पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी वीरेंद्र सिंह, डॉ. अरविंद भूषण, डॉ. आनंद प्रकाश वर्मा, जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. सुनीता बनौधा, डॉ. अविनेश कुमार, डॉ. एसके पाल, अपर शोध अधिकारी आरपी विश्वकर्मा, अंकिता त्रिपाठी, डब्लूएचओ की एमएसओ डॉ. शालिनी सिंह, यूएनडीपी के अजय महलेले, यूनीसेफ के अमर सिंह, सुशील मौर्या, संदीप गहोई, मुकेश शुक्ला आदि लोग प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।